Friday - 25 October 2024 - 7:47 PM

UP Budget 2020 : नौजवानों-बेरोजगारों के सपने पर आंकड़ों का मायाजाल

कुमार भवेश चंद्र

किसी देश या राज्य का वित्तमंत्री लोकसभा या विधानसभा में बजट भाषण के लिए जब खड़ा होता है तो उसके साथ एक उम्मीद अपने सपने सजाने लगती है। एक ख्वाब मचलने लगता है। शायद इस बार सरकारी झोली से उनके लिए सौगातों का कोई नया खजाना लुटाया जाएगा।

उनके सपनों को नए पंख मिलेंगे। बेरोजगारी दूर होगी। खुशहाली बहुत करीब होगी। लेकिन बजट..चाहे वह देश का हो या प्रदेश का। केवल आंकड़ों का मकड़जाल और हकीकत से दूर सुनहरे ख्वाब बुनने भर का दस्तावेज बनकर रह गया है। 

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उत्तर प्रदेश के वित्तमंत्री सुरेश खन्ना मंगलवार को विधानसभा में बजट भाषण के लिए खड़े हुए तो उन्होंने उम्मीदों का एक ऐसा ही पहाड़ खड़ा किया। वित्तमंत्री ने एक शानदार शेर के जरिए उत्तर प्रदेश के नौजवानों को ख्वाब को पंख लगा दिए। उन्होंने कहा-

गैर परों से उड़ सकते हैं 

हद के हद दीवारों तक 

अंबर तक तो वहीं उड़ेंगे

जिनके अपने पर होंगे 

बजट : जमीनी हकीकत  से दूर !

वित्तमंत्री ने बजट की शुरुआत में कहा कि इस बार उनका जोर बुनियादी सुविधाओं का विकास, युवाओं की शिक्षा, कौशल विकास, रोजगार, किसानों की खुशहाली, मजबूत कानून व्यवस्था और त्वरित न्याय पर रहने वाला है। बाद में उन्होंने यह भी जोर दिया कि 2020-21 का बजट युवाओं की शिक्षा, संवर्धन और रोजगार को समर्पित है। उन्होंने कहा कि 2017-18 का बजट किसानों को समर्पित था।

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2018-19 का बजट औद्योगिक विकास के लिए था। 2019-20 में महिला सशक्तीकरण पर जोर रहा। और अब रहा युवाओं की बारी है। वित्तमंत्री के इस बयान से उम्मीदों काआसमान और भी सुनहरा हो गया लेकिन यह सुनहरा ख्वाब उस वक्त टूटता नजर आया जब वित्तमंत्री ने युवाओं के लिए एक-एक कर योजनाओं का ऐलान करना शुरू किया।

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दरअसल वित्तमंत्री ने बजट बनाते हुए युवाओं के बारे में जमीनी हकीकत का ख्याल ही नहीं किया। उन्होंने केवल ख्याल इतना किया कि उनके खजाने में नौजवानों के लिए कितना धन हो सकता है। और शायद इसीलिए ये बजट युवाओं के सपने को पूरा करना तो दूर एक बड़ा कुठाराघात साबित होने जा रहा है।

बजट को आंकड़ों का खेल बना देना कोई नया नहीं है

वैसे भी बजट को आंकड़ों का खेल बना देना सत्ताधारियों का शगल सा बन गया है। कितनी दावेदारी से वित्त मंत्री कह गए कि पिछले तीन बजटों में किसानों, उद्योगो, महिलाओं की जिंदगी में बदलाव ला दिया है।

यूपी की जनता को बताने की जरूरत नहीं कि आज किसानों का क्या हाल है? उद्योग-कारोबार किस हाल में है? और महिलाओं सशक्तिकरण की जमीनी हकीकत क्या है? इन बातों से ही आप अंदाजा लगा लीजिए कि युवाओं का क्या होने वाला है।

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दरअसल युवाओं के बजटीय सपने बुनते हुए जो सबसे कड़वी सच्चाई को नजरंदाज किया गया वह है बेरोजगार युवाओं की बेतहाशा बढ़ती आबादी। बजट को इस जमीनी हकीकत के हिसाब से गढ़ने की जरा सा भी कोशिश की गई होती तो कुछ नौजवानों के सपने पूरे होने की उम्मीद जरूर बनती।

अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब सरकार ने ही बेरोजगार युवाओं के बारे में उसी सदन में हकीकत सामने रखी थी। उत्तर प्रदेश के काबिल श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने सदन को बताया था कि सरकारी फाइलों में सात फरवरी तक दर्ज बेरोजगार लोगों की संख्या 33.93 लाख है। यानी तकरीबन 34 लाख।

उन्होंने यह भी बताया कि अपने प्रदेश में पढ़े लिखे बेरोजगारों की सबसे बड़ी तादाद है। जानकारी यह भी दी गई कि केवल दो साल में प्रदेश में 12.5 लाख बेरोजगारों की फौज खड़ी हो गई।

बेरोजगारों की संख्या बढ़ने की यह रफ्तार 58.43 फीसदी आंकी गई है। श्रम मंत्री ने बेरोजगारों की संख्या बढ़ने की वजह तो नहीं बताई लेकिन ये हकीकत है कि वित्तमंत्री ने सरकारी आंकड़े की इस हकीकत को पूरी तरह नजरंदाज कर दिया।

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बेरोजगारों के लिए सुनहरे ख्वाब पेश करते हुए वित्तमंत्री ने क्या कहा

अब जरा समझ लीजिए कि बेरोजगारों के लिए सुनहरे ख्वाब पेश करते हुए वित्तमंत्री ने क्या कहा ? वित्तमंत्री ने अपने बजट भाषण में मुख्यमंत्री इंटर्नशिप प्रोत्साहन योजना का खुलासा करते हुए कहा कि इसके तहत युवाओं को केंद्र सरकार से 1500 रुपये, प्रदेश सरकार से 1000 रुपये और बाकी राशि जिस उद्योग में वह ट्रेनिंग करेंगे वहां से उन्हें मिलेगी।

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सरकार ने इस योजना के लिए 100 करोड़ की व्यवस्था की है। अब आप कल्पना कर सकते हैं कि 34 लाख बेरोजगारों में यह राशि कितनी पड़ेगी।

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इसके अलावा सरकार ने 1200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है युवा हब बनाने के लिए। इस योजना के तहत सरकार ने खुद ही एक लाख युवकों के लिए रोजगार सृजन का लक्ष्य रखा है।

नौजवानों को लक्ष्य कर मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना, विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार, विशेष रोजगार योजना की चर्चा करते हुए वित्तमंत्री ने युवाओं की बेहतरी की उम्मीद की है।

बजट : विश्वविद्यालय की स्थापना पर जोर

शिक्षा पर बात करते हुए वित्तमंत्री ने नए विश्वविद्यालय की स्थापना का भी ऐलान किया है। सहारनपुर, आजमगढ़ और अलीगढ़ में नए विश्वविद्यालय शुरू करने का प्रस्ताव पेश किया गया है।

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इसके अलावा प्रयागराज में लॉ विश्वविद्यालय और गोरखपुर में आयुष विश्वविद्यालय का प्रस्ताव है। मिर्जापुर, प्रतापगढ़, बस्ती और गोंडा में इंजीनियरिंग कालेज शुरू करने का भी प्रस्ताव है। 18 मंडलों में छठी से 12वीं के छात्रों के लिए मुफ्त आवासीय विद्यालय की योजना के लिए सरकार ने 270 करोड़ रुपये मुकर्रर किए हैं।

वित्तमंत्री ने दावा किया है कि पिछले कुछ साल में 8.5 लाख नौजवानों को प्रशिक्षित किया गया जिनमें से 3 लाख नौजवानों को प्रतिष्ठित उद्योगों में समायोजन मिल गया।

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सरकार ने अगले साल 2 लाख नौजवानों को और प्रशिक्षण दिलाने का लक्ष्य रखा है। सवाल है कि इनमें से प्रशिक्षण के बावजूद आधे से भी कम लोग नौकरी नहीं तलाश पा रहे हैं तो इस समस्या का निदान क्या है? दरअसल ये बजट ऐसे ही बहुत सारे सवालों को हवा में छोड़ देता है। इसीलिए शेरों शायरी से सजा वित्तमंत्री का भाषण सदन में सत्तापक्ष की तारीफें तो पा सकता है लेकिन नौजवानों के सपने को ये बजट कितनी उम्मीद देगा इसपर एक बड़ा सवाल है!

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