मल्लिका दुबे
- तीन मंडलों के तीन जिलों में स्थित है संतकबीनगर संसदीय क्षेत्र
- अनूठा इसलिए भी कि पांच विधानसभा क्षेत्रों में तीन हैं सुरक्षित श्रेणी की
यूपी की ये संसदीय सीट भले ही फिलहाल अपने जूता कांड से चर्चा में है मगर छूआछूत, भेदभाव का विरोध कर शांति व सद्भाव का पूरी दुनिया में संदेश देने वाले महान संत कबीर की धरती पर संसदीय चुनाव का घमासान हमेशा से कांटे का रहता है। यूपी के संतकबीरनगर से चुना जाने वाला सांसद गोरखपुर-बस्ती मंडल के बाकी सांसदों की अपेक्षा अधिक पावरफुल माना जाएगा, कारण इस संसदीय क्षेत्र की भागीदारी तीन मंडलों के तीन जिलों में होगी। यहां के सांसद को प्रोटोकाल के हिसाब से तीन जिलों में पदेन पद मिलेंगे।
दोनों मंडलों की बाकी आठ सीटों में यदि किसी सीट पर दो से अधिक जिलों का मेल नहीं है। इस जिले की संसदीय क्षेत्र से जुड़ा रोचक तथ्य भी है कि सिर्फ संतकबीरनगर की संसदीय सीट ऐसी है जिसके अंतर्गत विधानसभा की तीन सुरक्षित सीटें शामिल हैं।
संतकबीरनगर के संसदीय क्षेत्र का भूगोल तीन मंडलों बस्ती, गोरखपुर और आजमगढ़ की भागीदारी से बना हुआ है। बस्ती मंडल के संतकबीरनगर जिले के अलावा इस संसदीय क्षेत्र में गोरखपुर और अंबेडकरनगर जिले में स्थित विधानसभा क्षेत्रों को समाहित किया गया है।
संतकबीरनगर संसदीय क्षेत्र में इसी जिले की खलीलाबाद, मेंहदावल व धनघटा विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं जबकि गोरखपुर जिले की खजनी औरअंबेडकरनगर जिले की आलापुर विधानसभा सीट को भी संतकबीरनगर संसदीय क्षेत्र का ही हिस्सा बनाया गया है। दीगर यह भी कि जो पांच विधानसभा क्षेत्र इस संसदीय सीट के लिए शामिल किए गए हैं उनमें से तीन अलग-अलग जिलों की विधानसभा सीटें खजनी, धनघटा और आलापुर सुरक्षित श्रेणी की हैं।
संतकबीरनगर में लोकसभा की सीट वर्तमान में भाजपा के पास है और वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद सभी पांचों विधानसभा क्षेत्रों पर भी इसी पार्टी का कब्जा है।
भौगोलिक दृष्टि से तीन जिलों में पड़ने वाले इस संसदीय क्षेत्र में चुनावी भागदौड़ बाकी संसदीय क्षेत्रों की तुलना में अधिक करनी पड़ रही है। सियासी भूगोल के मामले में अपने तरह के अनूठे इस संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीतने वाला हाई प्रोफाइल सांसद बन जाता है। बता दें कि यह वही संसदीय क्षेत्र है जहां भाजपा सांसद शरद त्रिपाठी ने अपनी पार्टी के विधायक राकेश सिंह बघेल के सिर पर जूते बरसा दिए थे।