जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में आम जनता का सब्र अब पूरी तरह से जवाब से चुका है. बीते नौ अप्रैल से हजारों की तादाद में प्रदर्शनकारी सड़कों पर जमा हैं. जनता के दबाव को कम कर पाने में नाकाम श्रीलंका के प्रधानमन्त्री महिंद्रा राजपक्षे ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया. प्रधानमन्त्री ने जनता को काबू में करने के हर संभव उपाय किये. सड़कों से लोगों की भीड़ हटाने के लिए पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया लेकिन इसके बाद भी लोगों पर नियंत्रण नहीं पाया जा सका. सरकार ने कोलम्बो में सेना को तैनात कर दिया है. इन उपायों के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति के कार्यालय के बहर ज़बरदस्त प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन के दौरान सरकार समर्थकों ने प्रदर्शनकारियों पर हमला बोल दिया. इस हमले में सत्तारूढ़ पार्टी के सांसद की मौत हो गई और 80 से ज्यादा लोग घायल हो गए.
श्रीलंका की लगातार बिगड़ती स्थितियों पर नियंत्रण नहीं कर पाने की वजह से सोमवार को प्रधानमन्त्री महिंदा राजपक्षे ने अपने पद से इस्तीफे का एलान कर दिया. प्रधानमन्त्री पर दबाव इसलिए और भी ज्यादा था क्योंकि उनके छोटे भाई गोटबाया राजपक्षे ही श्रीलंका के राष्ट्रपति हैं. राष्ट्रपति के नेतृत्व वाली सरकार पर देश के आर्थिक संकट से निबट पाने में अक्षम होने का आरोप है. श्रीलंका में हालात पर काबू पाने के लिए पूरे देश में कर्फ्यू का एलान किया गया है. क़ानून व्यवस्था का पूरा ज़िम्मा सेना को सौंप दिया गया है.
श्रीलंका ऐसे भीषण आर्थिक संकट से गुज़र रहा है कि अब उसके पास खाद्य सामग्री और ईंधन के भुगतान तक के पैसे नहीं बचे हैं. बाज़ार में दाम आसमान छू रहे हैं लेकिन दामों पर सरकार अंकुश नहीं लगा पा रही है. हालात ऐसे हैं कि महिंद्रा राजपक्षे के पास इस्तीफ़ा देने के सिवाय कोई दूसरा विकल्प भी नहीं बचा था.
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