जुबिली न्यूज डेस्क
आखिरकार वहीं हुआ जिसकी उम्मीद श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटब्या राजपक्षे कर रहे थे। श्रीलंका के संसदीय चुनाव में राष्ट्रपति राजपक्षे की पार्टी ने बड़ी जीत हासिल की है।
राष्ट्रपति गोटब्या राजपक्षे ने अपनी पार्टी की बड़ी जीत की घोषणा की है। उनके भाई महिंदा राजपक्षे को अब एक बार फिर प्रधानमंत्री बनाये जाने की उम्मीद है जिन्होंने नवंबर से कार्यवाहक के रूप में भूमिका निभाई थी।
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राजपक्षे परिवार के श्रीलंका पीपुल्स फ्ऱंट (एसएलपीपी) ने श्रीलंका के आम चुनावों में दो-तिहाई बहुमत से जीत हासिल की है जिसकी पार्टी को प्रस्तावित ‘संवैधानिक परिवर्तनों’ को पूरा करने के लिए जरूरत भी थी। पार्टी ने कुल कुल 225 में से 145 सीटें जीती हैं। साथ ही पांच सीटें श्रीलंका पीपुल्स फ्रंट की सहयोगी पार्टियों को मिली हैं।
मालूम हो कि श्रीलंका में एसएलपीपी ने 9 महीने पहले राष्ट्रपति चुनाव भी जीता था जिसके बाद गोटब्या राजपक्षे ने 18 नवंबर को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी।
बीते बुधवार को श्रीलंका में बुधवार को मतदान हुआ था। गुरुवार को वोटों की गिनती हुई और आज सुबह शुक्रवार आधिकारिक तौर पर नतीजों का ऐलान किया गया है।
नतीजे घोषित होने से कुछ वक्त पहले महिंदा राजपक्षे ने ट्वीट कर यह सूचना दी कि ‘भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ़ोन कर उन्हें चुनाव में जीत पर शुभकामना संदेश दिया।’
महिंदा राजपक्षे ने लिखा कि “लोगों के अभूतपूर्व समर्थन के साथ, वे भारत से श्रीलंका के संबंधों को और बेहतर बनाने का काम करेंगे।” उन्होंने लिखा कि ‘श्रीलंका और भारत अच्छे मित्र देश हैं।’
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Thank you PM @narendramodi for your congratulatory phone call. With the strong support of the people of #SriLanka, I look forward to working with you closely to further enhance the long-standing cooperation between our two countries. Sri Lanka & India are friends & relations. pic.twitter.com/9YPLAQuVlE
— Mahinda Rajapaksa (@PresRajapaksa) August 6, 2020
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बीते दो दशक से श्रीलंका की राजनीति में विवादित राजपक्षे परिवार का दबदबा रहा है। महिंदा राजपक्षे इससे पहले वर्ष 2005 से 2015 तक श्रीलंका के प्रधानमंत्री रहे थे।
नतीजों के अनुसार, पूर्व राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदासा के बेटे के नेतृत्व में बना एक नया समूह अब श्रीलंका में मुख्य विपक्षी दल के तौर पर उभर कर आया है। रणसिंघे की 1993 में हत्या कर दी गई थी।
श्रीलंका में कोरोना महामारी के बीच में चुनाव हुआ। हालांकि महामारी के कारण दो बार मतदान की तारीख स्थगित की जा चुकी थी।
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राजपक्षे परिवार की जीत पर जानकारों का कहना है कि राजपक्षे परिवार की यह वाकई एक बड़ी जीत है। राष्ट्रपति चुनाव जीतने के सिर्फ नौ महीने में गोटब्या राजपक्षे ने अपने गठबंधन को दो-तिहाई बहुमत से जीत दिलाई है।
राजपक्षे अपने भदेसपन की वजह से श्रीलंका की सिंहली जनता के बीच काफी लोकप्रिय रहे हैं। सिंहली लोग श्रीलंका की आबादी का चौथाई हिस्सा हैं जो राजपक्षे को साल 2009 में अलगाववादी संगठन तमिल टाइगर्स का अंत करने का श्रेय देते हैं। उस वक्त राजपक्षे श्रीलंका के रक्षा सचिव हुआ करते थे।
श्रीलंका में एक बड़ा तबका है जो मानता है कि ‘उनके सत्ता में होने से श्रीलंका की सरकार को स्थिरता मिलती है और उन्होंने कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ भी अच्छा प्रदर्शन किया है। ‘