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श्रीलंका : कोरोना महामारी के बीच आम चुनाव

जुबिली न्यूज डेस्क

जिस तरह से दुनिया के कई देशों में काम-काज हो रहा है उससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कोरोना के साथ लोग जीना सीख लिए हैं। इस कोरेाना काल में कई देशों में संसदीय चुनाव होना है तो वहीं श्रीलंका में बुधवार को मतदान हो रहा है। जहां सितंबर में न्यूजीलैंड और सिंगापुर में चुनाव होना है तो वहीं कई देशों में इसी महामारी के बीच चुनाव भी हो गया।

कोरोना महामारी के बीच श्रीलंका में बुधवार को संसदीय चुनाव के लिए मतदान हो रहे हैं। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए मतदाता मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं। गोटबाया राजपक्षे को इस चुनाव के नतीजों से बहुत उम्मीद है।

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कोरोना संक्रमण से बचने के लिए इस दौरान सख्ती से नियमों का पालन कराया जा रहा है। मतदाता सुबह से ही मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मतदान केंद्रों के बाहर कतार में दिखे। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को उम्मीद है कि नई संसद उनकी शक्तियों को बढ़ाने में मदद करेगी। राष्ट्रपति ने नई संसद की पहली बैठक 20 अगस्त को बुलाई है।

16वें आम चुनाव के मद्देनजर राष्ट्रपति ने मार्च में संसद को भंग कर दिया था। पहले आम चुनाव 25 अप्रैल को होने थे, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण उन्हें दो बार स्थगित करना पड़ा।

225 सदस्यीय संसद के नए सदस्यों के चुनाव के लिए बुधवार शाम 5 बजे तक मतदान होगा। कोविड-19 स्वास्थ्य नियमों के कारण मतगणना अगले दिन यानी 6 अगस्त सुबह 7 बजे शुरू होगी। पहले मतगणना उसी रात शुरू हो जाती थी, जिस दिन मतदान होता था।

राष्ट्रपति की पार्टी श्रीलंका पोडुजना पेरामुना पार्टी को दोबारा सत्ता में आने के लिए इस चुनाव में सदन में बहुमत के लिए कम से कम 113 सीटें जीतनी हैं।

पर्यटन पर निर्भर दो करोड़ से अधिक आबादी वाला देश पिछले साल चर्च, होटल पर हुए आतंकी हमले के बाद से ही अपनी अर्थव्यवस्था को लेकर जूझ रहा है। रही सही कसर कोरोना वायरस ने पूरी कर दी। कोरोना संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए वहां तालाबंदी किया गया जिसकी वजह से आर्थिक गतिविधियां ठप सी हो गई। राजपक्षे भाइयों का गठबंधन दो तिहाई सीटें जीतना चाहता है जिससे संविधान में संशोधन किया जा सके और राष्ट्रपति की शक्तियों में इजाफा हो पाए।

श्रीलंका में 4 अगस्त तक कोरोना वायरस के 2,828 मामले सामने आ चुके हैं और अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है। दक्षिण एशियाई देशों की तुलना में यह आंकड़ा बहुत कम है।

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महामारी और चुनाव

गोटबाया राजपक्षे नवंबर में राष्ट्रपति चुने गए थे। वे देश में सख्त लॉकडाउन लगाकर कोरोना वायरस को फैलने से रोकने का श्रेय लेते हैं। वे अपने बड़े भाई और पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को दोबारा प्रधानमंत्री के रूप में देखने की उम्मीद कर रहे हैं। दोनों भाइयों ने अपना राजनीतिक जीवन सिंहला राष्ट्रवादी के रूप में स्थापित किया।

श्रीलंका में सिंहला समुदाय की आबादी 70 फीसदी है। सिंहला को तमिल चरमपंथियों को खत्म करने के लिए जाना जाता है। दशकों तक तमिल अलगाववादियों के साथ द्वीप के उत्तर और पूर्व में लड़ाई चली। 26 साल पुराना गृहयुद्ध 2009 में खत्म हो गया। उस वक्त छोटे भाई राष्ट्रपति थे और उन पर टॉर्चर और नागरिकों की हत्या का आरोप लगा था। यह दौर संघर्ष का अंतिम चरण था।

उस वक्त के बाद से ही सरकार पर दोनों भाइयों का ही कब्जा है। विपक्षी दल राष्ट्रपति के अधिकारों को कम करना चाहता है जिससे शक्तियों के दुरुपयोग को रोका जा सके और इसके बदले संसद द्वारा स्वतंत्र आयोगों की नियुक्ति की मांग करता आया है।

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