Monday - 28 October 2024 - 6:28 PM

प्रियंका के आजमगढ़ दौरे से सपा की बैचेनी बढ़ी

न्यूज डेस्क

उत्तर प्रदेश में अपनी खोई जमीन तलाशती कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी आम जन से जुड़ा कोई भी मुद्दा छोड़ नहीं रही हैं। वह दिल्ली में भले ही बैठी हों लेकिन उनकी निगाहे यूपी के गांव से लेकर राजधानी लखनऊ तक बनी हुई हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से वह हर दिन किसी न किसी मुद्दे के बहाने योगी सरकार को घेरती है साथ ही वह जरूरत पड़ने पर पीड़ितों से मिलने भी पहुंच रही है। वह एक तीर से कई निशाने साध रही हैं। एक ओर वह बीजेपी सरकार पर निशाना साध रही हैं तो वहीं दूसरी ओर वह सपा और बसपा से भी उनके मुद्दे छीन रही हैं।

प्रियंका गांधी बुधवार 12 जनवरी को आजमगढ़ आ रही हैं। पिछले दिनों बिलरिया कस्बे में नागरिकता संसोधन कानून का विरोध के दौरान खदेड़ी गई महिलाओं से मिलने के लिए प्रियंका गांधी आ रही हैं। प्रियंका के आजमगढ़ के दौरे से सपा खेमे की बेचैनी बढ़ गई हैं।

दरअसल आजमगढ़ समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव का संसदीय क्षेत्र हैं। अखिलेश यादव इस घटना की निंदा तो कर चुके हैं लेकिन अब तक वह पीडि़तों से मिलने नहीं पहुंचे हैं। अब चूंकि प्रियंका पीड़ितों के घाव पर मरहम लगाने पहले पहुंच रही हैं तो सपा खेमे में बेचैनी बढऩा स्वाभाविक हैं।

नियमत: सपा प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सबसे पहले पहुंचना चाहिए था लेकिन वह अब तक पीडि़तों से मिलने नहीं पहुंचे। और तो और आजमगढ़ में अखिलेश यादव का लापता पोस्टर भी लगा हुआ हैं। ऐसे में प्रियंका गांधी का पीडि़तों से मिलना समाजवादी पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी करेगा।

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पिछले कुछ घटनाओं को देखे तो जानेंगे कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पूरी तरह से उत्तर प्रदेश पर केंद्रित हैं। वह आम लोगों से जुडऩे का कोई भी मौका नहीं जाने दे रही हैं। सोनभद्र कांड हो या उन्नाव, मेरठ में मृतकों के परिजनों से मिलना हो या राजधानी लखनऊ में पूर्व आईएएस दारापुरी से मिलना, हर जगह प्रियंका गांधी सबसे पहले पहुंची।

सोनभद्र में तो जब जमीन के लिए नरसंहार मामले में तो प्रियंका गांधी ने योगी सरकार को बैकफुट पर ला दिया था। प्रियंका को रोकने के लिए योगी सरकार ने बहुत जतन किया लेकिन वह पीडि़तों से मिलने के लिए अड़ी रहीं। ऐसा ही कुछ पिछले महीने लखनऊ में हुआ था। सीएए के विरोध में प्रदर्शन कर रहे पूर्व आईएएस से मिलने के लिए प्रियंका पहुंची थी। उनको रोका गया,लेकिन वह नहीं मानीं। वह अपने कार्यकर्ता के स्कूटर से मिलने के लिए चल दी।

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दरसअल कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की गतिविधि से बीजेपी ही नहीं बसपा और सपा की भी चिंता बढऩे लगी है। 2022 में यूपी में विधानसभा चुनाव है। इसलिए प्रियंका कोई भी मुद्दा लपकने से नहीं छोड़ रही हैं। उनका हर कदम चुनाव के मद्देनजर ही है। वह बहुत ही खामोशी से अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रही हैं।

प्रियंका को इस बात का बखूबी अहसास है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस जनाधार किसकी वजह से खत्म हुआ है। उन्हें मालूम है कि उनके वोटर किस खेमे में गए हैं। इसलिए वह कभी बहुजन समाज पार्टी के गढ़ में घुसकर चुनौती पेश कर रही हैं तो कभी समाजवादी पार्टी के।

वहीं प्रियंका गांधी के सक्रियता पर बसपा सुप्रीमो मायावती कई बार ट्विटर पर अपनी खीझ दिखा चुकी हैं। और अब जब आजमगढ़ प्रियंका गांधी जा रही हैं तो समाजवादी पार्टी का खीझ बढऩा स्वाभाविक हैं।

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