जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। कोरोना टेस्ट में कोविड के मरीजों के कम होने के आंकड़े राहत जरूर देने वाले हैं, लेकिन भय का माहौल कम होने का नाम नहीं ले रहा है। त्योहारी सीजन के बाद से बाजारों में रौनक जरूर लौटी है। मगर सिनेमाहॉल और मल्टीप्लेक्स की रौनक अब भी गुम है। हालत ये है कि अधिकतर सिनेमा हालों में अब भी सन्नाटा छाया हुआ है।
सिनेमाहॉल खुले दो माह होने जा रहे है लेकिन दर्शकों की संख्या 10 से 15 प्रतिशत तक ही सीमित है। ऐसे में संचालकों के सामने खर्च निकालने तक का संकट आ गया है। खर्च को कम करने के लिए सिंगल थिएटर से लेकर मल्टीप्लेक्स तक में शो की संख्या कम कर दी गई है।
ऊपर से नयी फिल्मों की एंट्री भी नहीं हो रही है क्योंकि दर्शकों का रुझान ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर है। ऐसे में सिनेमा हाल संचालकों का दर्द समझा जा सकता है।
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सिनेमा हाल से दर्शकों की दूरी का एक कारण कोविड के प्रति डर है तो दूसरी वजह नई फिल्मों का रिलीज न होना भी है। इसके साथ ही वर्तमान में कॉलेज- यूनिवर्सिटी बंद होने से भी काफी असर पड़ा है। युवाओं के पास रोजगार न होने के चलते ऐश मौज के लिए पर्याप्त पैसा न होना भी एक बड़ी वजह है।
वही सिनेमा हाल में दर्शकों के बैठने के स्थान पर भी दो गज की दूरी का ध्यान रखा गया है। जिससे किसी भी प्रकार की दिक्कत न हो सके। कुल मिलाकर कमाई कम और खर्च ज्यादा हो गया है। कोई बड़ी फिल्म न रिलीज होने की वजह से दर्शकों का टोटा जरूर है।
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ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के बढ़ते चलन के आगे सिनेमा हाल इंडस्ट्री की माली हालत बद से बदतर हो चुकी है। यूपी सिनेमा हाल एसोसिएशन के अध्यक्ष आशीष अग्रवाल की माने तो उनका कहना है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की बढ़ती लोकप्रियता से सिनेमा इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है। ऊपर से कोई नयी फिल्म रिलीज नहीं कर रहा है, जिससे सिनेमा हाल तक दर्शक पहुंच ही नहीं पा रहे है। खर्चों और स्टाफ की कटौती करने के बाद भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, इसके बावजूद भी अच्छे दिन की आस अभी छोड़ी नहीं है।
सिनेमा प्रेमी वैभव गुप्ता की माने तो उनका साफ कहना है कि वो किस लिए सिनेमा हाल जाये जब उन्हें घर बैठे अपने समयनुसार नयी फिल्म देखने का मौका रहा है। वैभव का मानना है कि जब कोरोना का खतरा है और कम खर्च में अपने समय के हिसाब से फिल्म देखने को मिलेगी तो सिनेमा घर जाकर क्यों समय बर्बाद करें। हां जब कोई अच्छी फिल्म रिलीज होगी तब जाने के बारे में सोचा जा सकता है।
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