न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में 2013 में भंग किए गए स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप का डीजीपी मुख्यालय के निर्देश के बाद फिर से गठन किया गया है। DGP मुख्यालय ने सभी जिलों में SOG के गठन के लिए पत्र लिखा है।
सभी पुलिस कप्तानों को निर्देश दिए गए हैं कि वह अपने-अपने जिलों में SOG का गठन कर मुख्यालय को सूचित करें। UP के जिलों में बड़े अपराधों के खुलासे के लिए एक बार फिर से SOG सक्रिय हो गया है।
बता दें कि प्रदेश के सभी जिलों में SOG को 2013 में भंग कर दिया गया था और उसके स्थान पर क्राइम ब्रांच का गठन किया गया था। प्रदेश में अनसुलझी घटनाओं के खुलासे के लिए SOG लगाई जाती थी। SOG का इंचार्ज जिले स्तर पर सब इंस्पेक्टर स्तर के पुलिस कर्मी को बनाया जाता था।
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अलग- अलग जिलों से मिली भ्रष्टाचार की शिकायतों के बाद तत्कालीन ADG कानून व्यवस्था अरुण कुमार ने सभी जिलों की SOG को भंग कर दिया था। इसके स्थान पर क्राइम ब्रांच का गठन का आदेश दिया गया था। इसका इंचार्ज छोटे जिलों में पुलिस उपाधीक्षक और बड़े जिलों में अपर पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी को बनाया गया था।
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वहीं क्राइम ब्रांच को तीन भागों में बांटा गया था, जिसमें अपराध शाखा, अभिसूचना शाखा और आपरेशन शाखा का गठन किया गया था। साथ ही बड़े अनसुलझी घटनाओं की विवेचना भी क्राइम ब्रांच द्वारा की जाने लगी। विवेचनाओं के बोझ से क्राइम ब्रांच की धार धीरे-धीरे कुंद होने लगी।
इसका असर यह हुआ STF जैसी प्रदेश स्तर की एजेंसी को अनसुलझे मामले दिए जाने लगे। बाद में जिला स्तर पर स्वाट टीम और सर्विलांस टीम का भी गठन SP या SSP स्तर से किया जाने लगा। स्वाट टीम को किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए UP- ATS के स्पॉट कमांडोज ने प्रशिक्षित किया गया और उन्हें अत्याधुनिक असलहों से लैस किया गया।
इसके बाद भी अनसुलझे मामले जिलों में बढ़ते रहे। थानों पर घटना के बाद जिले की एक-दो नहीं बल्कि अलग- अलग यूनिट की अलग टीम लगाकर जांच कराई जाने लगी।
लगभग सभी जिलों में SOG का गठन कर दिया गया है, जो सीधे जिलों में SP को रिपोर्ट कर रही हैं और अधिकार व कार्रवाई के मामले में यह टीमें किसी थाने या क्राइम ब्रांच से मजबूत मानी जा रही हैं।
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