जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। एमिटी स्कूल ऑफ एप्लाइड साइंसेज (एएसएएस), एमिटी विश्वविद्यालय के तत्वावधान में राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस के अवसर राजधानी लखनऊ में डिजिटल एपिडेमियोलॉजी इन मैनेजमेंट ऑफ कोविड-19 महामारी विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्रों को जीवन के हर पहलू में सांख्यिकी की भूमिका के बारे में जागरूक करना है, इसके अलावा विकास योजना और नीतियों के निर्माण के क्षेत्र में भारत मे सांख्यिकी के जनक स्वर्गीय प्रो पी.सी.महालेनोबिस के उल्लेखनीय योगदानों पर प्रकाश डाला गया।
कार्यक्रम का प्रारंभ एमिटी स्कूल ऑफ एप्लाइड साइंसेज की निदेशक प्रो (डॉ) असिता कुलश्रेष्ठ ने स्वागत भाषण के साथ की, जिन्होंने अतिथि वक्ता के साथ-साथ प्रतिभागियों को उनके बहुमूल्य समय और आयोजन को अत्यधिक सफल बनाने में योगदान के लिए धन्यवाद दिया।
इसके अलावा, उन्होंने राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस 2021 पर सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी)-2 (अंत भूख, खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने और बेहतर पोषण और सतत् कृषि विकास को बढ़ावा देने) विषय के बारे में बात की ।
अंत में उन्होंने सांख्यिकी विषय के महत्व का उल्लेख किया और कहा कि नए सर्वेक्षणों, मौजूदा सर्वेक्षणों में संशोधन, नए वैकल्पिक डेटा स्रोतों जैसे बड़े डेटा की खोज की आवश्यकता है ।
एसडीजी ढांचे की प्रासंगिकता को संकेतक के नजरिए से पहचानने के लिए रणनीतियों की आवश्यकता है । राष्ट्रीय संकेतकों को तैयार करने के लिए एक सुपरिभाषित प्रक्रिया की आवश्यकता है ।
कार्यक्रम मे मुख्य वक्ता के रूप मे आमंत्रित प्रो (डॉ) सी.एम पांडेय, पूर्व प्रोफेसर और प्रमुख, बायोस्टिस्टिक्स एंड हेल्थ इन्फॉर्मेटिक्स विभाग, अखिल भारतीय संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ ने डिजिटल महामारी विज्ञान के बारे में चर्चा की और कोविड-19 महामारी में इस्तेमाल होने वाली डिजिटल प्रौद्योगिकियों, डिजिटल महामारी विज्ञान के विकास में चुनौतियां, इस प्रक्रिया में निजता और गरिमा चिंताओं और कानूनी और नैतिक चिंताओं के बारे में जोर दिया ।
उन्होंने अपने व्याख्यान में निष्कर्ष निकाला कि महामारी विज्ञान के लिए डिजिटल दृष्टिकोण ने COVID-19 महामारी के प्रबंधन में बहुत मदद की है ।
इससे महामारी विज्ञान को एक नया आयाम मिला है। अध्ययनों की रिपोर्ट है कि COVID असमान रूप से कुछ भौगोलिक क्षेत्रों, समुदायों, जैसे काले और अल्पसंख्यक जातीय समूहों, दूसरों की तुलना में अधिक प्रभावित किया है ।
इसलिए डिजिटल उपकरण और संचार रणनीतियों को विकसित करना आवश्यक है जो सभी के लिए सुलभ हैं और विशिष्ट क्षेत्रों, भाषाओं और सांस्कृतिक संदर्भों के अनुरूप हो सकते हैं।
इस अवसर पर एकनिबंध प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया जिसमे विभिन्न विश्वविद्द्यालयो के अनेक छात्रों ने प्रतिभाग किया।
आयोजित निबंध प्रतियोगिता के परिणाम घोषणा के साथ कार्यक्रम समन्वयक डॉ गुंजन सिंह, सहायक प्रोफेसर, सांख्यिकी विभाग, (ए.एस.ए.एस) ने कहा की सांख्यिकी एवं संख्याविदो ने वर्तमान वैश्विक महामारी से निपटने के लिए डाटा मॉडलिंग की सहायता से अनेक समाधान दिये है ।
महामारी के टीके के विकास एवं शोध मे भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है कार्यक्रम डॉ गुंजन सिंह द्वारा प्रस्तावित धन्यवाद ज्ञापन के साथ समाप्त हुआ। कार्यक्रम का आयोजन एमिटी यूनिवर्सिटी उत्तर प्रदेश, लखनऊ के प्रो .डॉ. सुनील धनेश्वर के मार्गदर्शन में किया गया।