जुबिली न्यूज डेस्क
2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने कमर कस ली है। इसी कड़ी में सपा की भी सक्रियता तेज हो गई है। पार्टी उत्पीड़न की घटनाओं पर सरकार को जोरदार तरीके से घेरने की रणनीति के साथ ही सदस्यता अभियान में दमदारी दिखाने वाले नेताओं पर भी नजर रख रही है। अक्तूबर में होने वाले सम्मेलन में इसी आधार पर विभिन्न इकाइयों के नए प्रदेश अध्यक्षों के साथ अन्य पदाधिकारियों का चयन होगा। निरंतर सक्रिय रहने वाले नेताओं को अहम जिम्मेदारी मिलेगी।
वरिष्ठ नेताओं को प्रभारी के तौर पर जिम्मेदारी
बता दे कि सदस्यता अभियान चलाने के लिए वरिष्ठ नेताओं को प्रभारी के तौर पर जिम्मेदारी दी गई है। ये प्रभारी ज्यादा से ज्यादा सदस्य बनाने के साथ ही क्षेत्र में सक्रिय रहने वाले नेताओं को चिह्नित भी कर रहे हैं। भाजपा सरकार को घेरने में सक्रिय रहने वाले नेताओं पर शीर्ष नेतृत्व नजर भी रख रहा है। इसलिए माना जा रहा है कि संगठन में इन्हें अहम जिम्मेदारी मिलना तय है।
हर घटना की जांच करेगा प्रतिनिधिमंडल
पार्टी ने तय किया है कि कहीं भी उत्पीड़न की घटना सामने आती है तो पार्टी का प्रतिनिधिमंडल मौके पर जांच कर रिपोर्ट तैयार करेगा। इस रिपोर्ट के आधार पर संबंधित जिले के साथ ही आसपास के जिले के नेता भाजपा पर हमला बोलेंगे। विधान सभा सत्र शुरू होने पर संबंधित रिपोर्ट के आधार पर मामलों को सदन में रखा जाएगा। इसी रणनीति का नतीजा है कि पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव आजमगढ़ जेल पहुंच कर पूर्व सांसद रमाकांत यादव से मिले तो आजम खां के मामले को लेकर प्रतिनिधिमंडल ने डीजीपी से मुलाकात की।
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इसी तरह पार्टी का प्रतिनिधिमंडल संत कबीरनगर सहित अन्य जिलों में जा चुका है। सपा ने निकाय चुनाव के लिए दो से तीन विधायकों को अलग-अलग क्षेत्रों का प्रभारी बनाकर भेजा है। साथ ही शिक्षक व स्नातक खंड के लिए उम्मीदवारों की भी घोषणा कर दी है। पार्टी के पैनल में युवा चेहरों के साथ अनुभवी नेताओं को तवज्जो दी है। इस सूची में भी जातीय गणित का विशेष ध्यान रखा गया है।
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