Monday - 11 November 2024 - 5:14 PM

गठबंधन पर मायावती के बाद क्या बोले अखिलेश

न्‍यूज डेस्‍क

लोकसभा चुनाव से पहले हुए समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के गठबंधन की नींव कमजोर होने लगी है। पिछले 24 घण्‍टे से जिस तरह से बयानबाजी का दौर शुरू हुआ है उससे साफ दिखाई पड रहा है कि अखिलेश यादव और मायावती का गठबंधन अंतत: दरकने लगा है।

बसपा सुप्रीमो मायावती के बाद सपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ने आजमगढ़ में पत्रकारों के काफी कुरेदने पर इतना तो कह ही दिया कि अब हम अपने साधन और अपने संसाधनों से चुनाव लड़ेंगे। अखिलेश यादव ने आगे की लड़ाई के लिए नए प्लान पर काम करने की बात कही। हालांकि, वे गठबंधन पर कुछ भी कहने बचते दिखे।

दरअसल,  मायावती ने लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद दिल्ली में पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई। हार पर मंथन कर रही बसपा पार्टी के अंदर इस दौरान गठबंधन विरोधी स्‍वर तेज होने लगा। इस बीच मायावती ने भी हार का ठीकरा अखिलेश यादव पर फोडते हुए कहा कि सपा सुप्रीमो यादव वोट को बसपा उम्‍मीदवारों को नहीं दिलवा पाए।

बसपा प्रमुख मायावती ने आरोप लगाया कि गठबंधन से उनकी पार्टी को फायदे की जो उम्मीद थी, वो पूरी नहीं हुई, लिहाजा गठबंधन की समीक्षा की जा रही है। मायावती ने गठबंधन से पार्टी को फायदा नहीं होने की बात कहते हुए यादव वोट पार्टी को ट्रांसफर नहीं होने का आरोप भी लगाया है।

मायावती ने कहा कि मुसलमानों का वोट बसपा को मिला, लेकिन यादव वोट गठबंधन विरोधी काम करता रहा। इसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव से यूपी में खाली हुई 11 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव लड़ने के लिए तैयारियों के निर्देश दिए हैं। बता दें कि बसपा आमतौर पर उप चुनाव नहीं लड़ती है। इससे पहले 2010 में बसपा ने उपचुनाव लड़ा था।

इसके अलावा मायावती ने बसपा नेताओं से सभी विधानसभा सीटों पर नए सिरे से भाईचारा कमेटियां खड़ी करने को कहा है। उनके इस निर्देश को 2022 में विधानसभा की सभी सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ने की तैयारियों से जोड़कर भी देखा जा रहा है।

बसपा सुप्रीमो मायावती के बयान के बाद समाजवादी पार्टी के शिकोहाबाद के विधायक हरिओम यादव ने कहा है कि गठबंधन से मायावती को ही फायदा हुआ है। इससे सपा को कोई फायदा नहीं हुआ है। अगर गठबंधन नहीं होता तो बहन जी का खाता भी नहीं खुलता, जबकि सपा 25 सीटें जीतती।

अगर बहन जी का आरोप है कि यादवों ने उन्‍हें वोट नहीं दिया तो मैं बता दूं कि यादव बफादार होते हैं और जिसके साथ रहते हैं उसका पूरा साथ देते हैं। सच तो यह है कि बहन जी के लोगों ने समाजवादी पार्टी को वोट नहीं दिया है. यही वजह है कि हमें गठबंधन का कोई फायदा नहीं हुआ।

बताते चले कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में उत्‍तर प्रदेश की 80 सीटों पर समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्‍ट्रीय लोकदल ने मिलकर चुनाव लड़ा था। इस दौरान सपा ने 37, बसपा ने 38 और आरएलडी ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था।

2014 के लोकसभा चुनावों में अपना खाता खोलने में नाकाम रही बसपा ने इस बार दस सीटें जीती हैं तो सपा को पांच सीटें मिली हैं। समाजवादी पार्टी को पिछले लोकसभा चुनाव में भी पांच सीटों पर जीत मिली और इस लिहाज से उसे गठबंधन का कोई फायदा नहीं हुआ। वहीं, उसे अपने बदायूं, कन्‍नौज और फिरोजाबाद में हार मिली है, जिसे समाजवादी गढ़ माना जाता है. अगर आरएलडी की बात करें तो पिछली बार भी उसका खाता नहीं खुला था और इस बार भी हालात ज्‍यों के त्‍यों हैं।

इसके बाद बसपा के नेता सुखदेव राजभर के अनुसार, ‘ मायावती ने कहा है कि गठबंधन के परिणाम संतोषजनक नहीं थे, क्योंकि लोकसभा चुनाव 2019 में एसपी और बीएसपी दोनों को नुकसान का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि इसलिए मैं इस पर विचार करूंगी कि इसे कैसे ठीक किया जाए। साथ ही मैं अखिलेश यादव का सम्मान करती हूं और आगे भी करती रहूंगी। बसपा नेता ने कहा कि मायावती ने मीटिंग में कहा था कि उन्हें (अखिलेश यादव) इस बात पर भी पुनर्विचार करना चाहिए कि क्या उनके समुदाय के लोगों ने उनका समर्थन किया।’

 

 

 

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