न्यूज़ डेस्क
देश में कोरोना वायरस का कहर जारी है। एक तरह जहां सदी की सबसे बड़ी महामारी कोरोनावायरस से निपटने के लिए हिंदी पट्टी के नॉर्थ इंडियन राज्य जहां थाली और ताली के भाषण में उलझे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ साउथ इंडियन राज्य ‘नो भाषण, ओनली एक्शन’ पर जोर दे रहे हैं।
सबसे पहले टेस्टिंग की बात
30 जनवरी को कोरोना का पहला मामला केरल में सामने आया। हालांकि चीन समेत दुनिया के कई देशों में हाहाकार मचा हुआ था लेकिन भारत में धीरे-धीरे बढ़ते हुए COVID 19 के एक्टिव मामलों ने 14 मार्च तक 100 का आंकड़ा छुआ।
16 मार्च को की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के डायरेक्टर जनरल डॉ. टेड्रोस एधानोम घेब्रेयेसस ने तीन सादे शब्दों में कोरोना से निपटने की तरकीब बताई। वो तीन शब्द हैं- टेस्ट, टेस्ट और टेस्ट।
यानी ज्यादा से ज्यादा लोगों की टेस्टिंग होगी तो वायरस के शिकार लोगों को क्वारनटीन यानी अलग-थलग करते हुए कोरोना के सामुदायिक फैलाव को रोकने में मदद मिलेगी।
कोरोनावायरस के एक्टिव मामले और उसके असर से मरने वालों की तादाद दिन-ब-दिन बढ़ रही है। देश भर में लॉकडाउन है। दूध-सब्जी-राशन जैसी बुनियादी चीजों की सप्लाई को लेकर लोगों में घबराहट है। और इस महामारी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे बुनियादी मुद्दों पर उत्तर भारतीय राज्य दक्षिण भारतीय राज्यों से कहीं पीछे हैं।