सैय्यद मोहम्मद अब्बास
कहते हैं कि क्रिकेट में अगर और मगर नहीं चलता है। सौरभ गांगुली के लिए यही स्थिति है। देश के सर्वश्रेष्ठ कप्तानों में शुमार सौरभ गांगुली अब बीसीसीआई के नये बॉस बनने जा रहा है। ऐसा इसलिए संभव हुआ है कि उनके नाम को लेकर कोई अगर-मगर नहीं था और बीसीसीआई के सभी सदस्यों ने दादा को बीसीसीआई का नया कप्तान नियुक्त करने पर बगैर किसी विवाद के हामी भर दी है।
ऐसे में कुछ दिनों से चल रही उठा-पटक और तमाम ड्रामा के बावजूद सौरभ गांगुुली के नाम पर सभी लोग एकमत नजर आये हैं।
मुंबई के एक फाइव-स्टार होटल में बीसीसीआई के सभी सदस्यों की अनौपचारिक मीटिंग करके सौरभ गांगुली पर विश्वास जताया गया है। सौरभ गांगुली को टीम इंडिया की कमान कुछ इसी तरह से मिली थी जब टीम इंडिया मैच फिक्सिंग के दलदल में फंसी थी और साल 2000 में सचिन ने टीम की कप्तानी करने से मना कर दिया था तब दादा को अचानक से ही टीम की कमान सौंप दी गई थी।
सौरभ ने उस रोल में एक हीरो की तरह लीड करते हुए टीम इंडिया को नई ऊंचाई प्रदान की। अब वक्त ने फिर वही पर लाकर खड़ा कर दिया है। बीसीसीआई इस समय तमाम विवादों से घिरी हुई है और लगातार उसके ऊपर पर दबाव बढ़ रहा है। ऐसे में सौरभ गांगुली अब बीसीसीआई को ठीक पहले जैसा चलाने का दबाव है।
दादा ने खुद कहा है कि यह कुछ अच्छा करने का सुनहरा मौका है, क्योंकि ऐसे समय में बोर्ड की कमान संभाल रहा हूं, जब उसकी छवि काफी खराब हुई है। यह भी अहम है क्योंकि बीसीसीआई इस तरह से 23 अक्टूबर को लोकतांत्रिक प्रक्रिया की ओर फिर लौटने जा रहा है।
सौरभ गांगुली के बनने से बीसीसीआई में होगा बदलाव
इससे पहले 34 लोग बीसीसीआई की कुर्सी पर काबिज रहे हैं लेकिन दादा बतौर सफल क्रिकेटर के तौर पर बीसीसीआई की कुर्सी पर बैठने जा रहे हैं। पूर्व अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन के समर्थक पूर्व क्रिकेटर बृजेश पटेल ने बीसीसीआई की कमान संभालने का दम भरा था लेकिन ऐन वक्त पर पूरा समीकरण बदल गया और उनको मायूसी हाथ लगी है। वहीं गृहमंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह का निविर्रोध सचिव के पद पर काबिज होने जा रहे हैं जबकि केंद्रीय मंत्री और पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के छोटे भाई अरुण धूमल कोषाध्यक्ष का पद संभालेंगे। ऐसे में बीसीसीआई अरसे बाद बदलाव की आहठ देखने को मिल रही है। हालांकि दादा को कूलिंग ऑफ अवधि के कारण उन्हें जुलाई में पद छोडऩा होगा।
अध्यक्ष का नाम कब से कब तक
- ग्रांट गोवन 1928-1933
- सर सिकंदर हयात खान 1933-1935
- हमिदुल्लाह खान 1935-1937
- केएस दिग्विजय सिंह 1937-1938
- पी. सुब्बरायन 1938-1946
- एन्थॉनी एस डी’मैलो 1946-1951
- जेसी मुखर्जी 1951-1954
- महाराजकुमार विजय आनंद 1954-1956
- सरदार सुरजीतसिंह मजीठिया 1956-1958
- आरके पटेल 1958-1960
- एमए चिदंबरम 1960-1963
- फतहसिंह राव गायकवाड़ 1963-1966
- जेड आर ईरानी 1966-1969
- एएन घोष 1969-1972
- पीएम रुंगटा 1972-1975
- रामप्रकाश मेहरा 1975-1977
- एम चिन्नास्वामी 1977-1980
- एसके वानखेड़े 1980-1982
- एनकेपी साल्वे 1982-1985
- एस श्रीरमन 1985-1988
- बीएन दत्त 1988-1990
- माधवराव सिंधिया 1990-1993
- आईएस बिंद्रा 1993-1996
- राज सिंह डूंगरपुर 1996-1999
- एसी मुथैया 1999-2001
- जगमोहन डालमिया 2001-2004
- रणबीर सिंह महेंद्रा 2004-2005
- शरद पवार 2005-2008
- शशांक मनोहर 2008-2011
- एन. श्रीनिवासन 2011-2013
- जगमोहन डालमिया (अंतरिम) 2013-2013
- एन. श्रीनिवासन 2013-2014
- शिवलाल यादव (अंतरिम) 2014-2014
- सुनील गावसकर (अंतरिम, आईपीएल) 2014-2014
- जगमोहन डालमिया (निधन) 2015-2015
- शशांक मनोहर 2015-2016
- अनुराग ठाकुर 2016-2017
निर्विरोध चुना जाना ही बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। यह विश्व क्रिकेट का सबसे बड़ा संगठन है और जिम्मेदारी तो है ही, चाहे आप निर्विरोध चुने गए हों या नहीं। भारत क्रिकेट की महाशक्ति है तो यह चुनौती भी बड़ी होगी।
सौरभ गांगुली
दादा पर एक नजर
सौरभ गांगुली ने क्रिकेट के मैदान में 1992 में वन डे क्रिकेट में डेब्यू किया था लेकिन उनकी पारी उस समय रूक गई थी लेकिन 1996 में कड़ी मेहनत करके दोबारा टीम इंडिया में वापसी करने में सफल रहे।
इंग्लैंड दौरे में अचानक से संजय मांजरेकर को चोट लगी जबकि नवजोत सिद्धू कप्तान अजहरुद्दीन के साथ हुए विवाद के बाद बीच में इंग्लैंड दौरे से वापस आ गए तब अजहर ने दादा को खेलाने का फैसला किया और यहां से फिर दादा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद 2000 में गांगुली टीम इंडिया की कमान सौंप दी।
उनकी कप्तानी में युवी,कैफ, जहीर, नेहरा व भज्जी जैसे खिलाड़ी क्रिकेट के मैदान में कामयाबी हासिल करने लगे। उनकी कप्तानी में टीम ने 2003 में विश्व कप के फाइनल में पहुंची। इतना ही नहीं सौरभ की कप्तानी में भारत ने लम्बे वक्त के बाद पाकिस्तान का दौरा किया और वहां भारतीय तिरंगा बुलंद कर दिया।
टीम इंडिया के कोच रवि शास्त्री के लिए भी बजी खतरे की घंटी
सौरभ गांगुली के बीसीसीआई के बॉस बनने से टीम इंडिया के कोच रवि शास्त्री के लिए बुरी खबर है। गौरतलब होकि सौरव गांगुली और रवि शास्त्री के बीच के रिश्ते बेहद खराब रहे हैं। विवाद तब बढ़ गया था जब गांगुली सलाहकार समिति (सीएसी) के सदस्य के तौर पर साल 2016 में अनिल कुंबले को टीम इंडिया के कोच बनने पर हामी भरी थी लेकिन इसी के बाद से दोनों के रिश्तों में खटास आ गई थी।