जुबिली न्यूज डेस्क
नए श्रम कानून आने के बाद से एक दिन में कितने घंटे काम करने हैं इसको लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। फिलहाल सरकार एक दिन में आपको कितना घंटे काम करना पड़ेगा, इस बारे में स्थिति स्पष्ट करने जा रही है।
नया श्रम कानून आने के बाद से लोगों के बीच यह गलतफहमी है कि इनमें काम का समय बढ़ाकर 12 घंटे करने का प्रावधान है, लेकिन सरकार जल्दी ही इस स्थिति को स्पष्ट करने जा रही है।
सरकारी अधिकारियो के अनुसार डेली वर्क ऑवर्स को 8 घंटे रखा जाएगा और उसके बाद ओवरटाइम शुरू होगा। ओवरटाइम में वेतन रेग्युलर डेली पे से दोगुना है।
विस्ट्रॉन की घटना के बाद नीति निर्माता चाहते हैं कि नए लेबर कानूनों में वर्किंग ऑवर्स के बारे में साफ-साफ उल्लेख होना चाहिए ताकि किसी तरह का कोई भ्रम न हो।
नए नियम 1 अप्रैल से लागू हो सकते हैं। इस महीने की शुरुआत में ऐपल की कॉन्ट्रेक्ट कंपनी विस्ट्रॉन के कर्नाटक स्थित प्लांट में हिंसा हो गई थी। माना जा रहा है कि कामगारों का वेतन और ओवरटाइम के भुगतान में देरी के कारण हिंसा हुई।
एक हफ्ते में अधिकतम 48 घंटे काम
लेबर मिनिस्ट्री ने ऑकुपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड के मसौदा नियमों के तहत 8 घंटे काम का प्रावधान रखा है। लेकिन साथ ही कहा गया है कि वर्किंग ऑवर्स में बदलाव किया जा सकता है लेकिन हफ्ते में अधिकतम 48 घंटे ही काम लिया जा सकता है।
इसके साथ ही इसमें दिन में अधिकतम 12 घंटे काम करने की अनुमति देने की बात कही गई है। अभी फैक्टरीज एक्ट के तहत नौ घंटे काम या साढ़े 10 घंटे स्प्रेड ओवर का प्रावधान है। इससे यह धारणा बनी है कि रेग्लुयर वर्किंग ऑवर्स को बढ़ाकर 12 घंटे किया जा सकता है।
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वहीं कंपनियों का कहना है कि सप्ताह में 48 घंटे के कैप के कारण वे कर्मचारियों को चार दिन काम करने को कह सकते हैं और फिर उन्हें तीन दिन की छुट्टी दे सकते हैं, लेकिन अधिकारियों के मुताबिक यह सही नहीं है।
एक अधिकारी ने कहा, ‘यह मौजूदा प्रपोजल्स का मकसद नहीं है। इसके पीछे यह सोच थी कि अगर कंपनियों के पास किसी ऑर्डर पूरा करने के लिए टाइट टाइमलाइन है तो वे समय पर इसे पूरा कर सकें। लेकिन वे हर समय ऐसा नहीं कर सकती हैं।’
कब तक तैयार होंगे फाइनल रूल्स
एक अधिकारी ने कहा, ‘हम देख रहे हैं कि कैसे फाइनल रूल्स में वर्किंग ऑवर्स और ओवरटाइम को कैसे स्पष्ट किया जाए। इस कोड के तहत नियमों को अगले महीने तक अंतिम रूप दे दिया जाएगा।’
ड्राफ्ट रूल्स में यह साफ नहीं है कि कितने घंटे बाद ओवरटाइम शुरू होगा। मौजूदा व्यवस्था में 30 मिनट से कम समय ओवरटाइम नहीं माना जाता है। ड्राफ्ट रूल्स के मुताबिक 15 मिनट से 30 मिनट का समय आधे घंटे के ओवरटाइम माना जाएगा।