न्यूज डेस्क
वह दिन दूर नहीं जब आप अपनी कार में पैसेंजर बिठा सकेंगे। यदि सरकार ने नीति आयोग की सिफारिशें मान ली तो लोग अपनी प्राइवेट कार में पैसेंजर ले जा सकेंगे। कार मालिकों को अपनी गाड़ी में पैसेंजर बिठाने की सुविधा देना एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।
हालांकि इसका दायरा तीन-चार ट्रिप होगा। यात्रियों की सुविधा के लिए प्राइवेट गाडिय़ां राज्यों के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के मान्यता प्राप्त एग्रीगेटर से लिंक रहेंगी।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक सरकार सड़कों पर गाडिय़ों का बोझ कम करने की नीति के तहत इस तरह की स्कीम शुरू करने की सोच रही है। इस स्कीम के तहत प्राइवेट गाडिय़ों की डिटेल वाहन डाटाबेस से लिंक होंगी, जिससे गाड़ी मालिक अपनी गाड़ी को किसी और एग्रीगेटर से जोड़ कर ज्यादा ट्रिप न कर सके।
बाइक एग्रीगेटर तेजी से हो रहा लोकप्रिय
देश के शहरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बहुत कमी है। इस समस्या से जूझ रहे शहरों में ओला और उबर जैसे कैब एग्रीगेटर काफी सफल साबित हो रहे हैं। ओला, उबर और रैपिडो बाइक एग्रीगेटर की तरह भी काम कर रहे हैं।
बाइक एग्रीगेटर तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं क्योंकि ये ओला, उबर की कार सर्विस से सस्ते हैं। इनसे शहरों में ज्यादा भीड़ भाड़ और संकरी जगहों पर आसानी से पहुंच बन रही है, लेकिन अभी भी बेहतर ट्रांसपोर्ट भारतीय शहरों की समस्या बनी हुई है। यही वजह है कि सरकार लोगों को अपनी निजी कार में पैसेंजर ले जाने की इजाजत देना चाहती है।
भारत में दस हजार लोगों के लिए 4 बस
केंद्रीय परिवहन मंत्रालय के मुुताबिक चीन में 1000 लोगों के लिए 6 बसें हैं तो वहीं भारत के पास 10 हजार लोगों के लिए सिर्फ 4 बसें हैं। और तो और 90 फीसदी लोगों के पास तो कोई भी गाड़ी नहीं है। ऐसे लोग शेयर्ड मोबिलिटी पर निर्भर रहते हैं।
देश में इस वक्त 19 लाख बसे हैं, जबकि जरूरत है से कम से कम 19 लाख बसों की। ऐसे में कार मालिकों को अपनी गाड़ी में पैसेंजर बिठाने की सुविधा देना एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। इनमें से लगभग 2.5 लाख बसें सरकारी परिवहन निगमों के पास है, जबकि बाकी की बसें प्राइवेट ऑपरेटर चलाते है।