जुबिली न्यूज़ डेस्क
कांग्रेस के नए अध्यक्ष का चुनाव भी जनवरी-फरवरी में होना तय है। पार्टी के अंदर एक बड़ा तबका राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष बनाने की मांग कर रहा है। ऐसे कांग्रेस अध्यक्ष की कोशिश होगी कि नया अध्यक्ष का चुनाव सर्वसम्मति से किया जाए।
हालांकि अभी भी कुछ वरिष्ठ नेता ऐसे हैं जो कांग्रेस आलाकमान से नाराज चल रहे हैं। ऐसे नाराज नेताओं को मनाने के लिए सोनिया गांधी ने मोर्चा संभाला है। कांग्रेस में जारी अंदरुनी कलह के बीच शनिवार को पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की पार्टी के नाराज और वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक शुरू हो चुकी है।
सोनिया गांधी के आवास 10 जनपथ पर बुलाई गई इस बैठक में पार्टी के असन्तुष्ट नेताओं में से गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा भी शामिल हुए हैं। बैठक में राहुल गांधी को भी रहना है।
इसके अलावा बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ, वरिष्ठ पार्टी नेता अंबिका सोनी, एके एंटोनी और पी. चिंदबरम भी बैठक में शामिल हैं।
किसान आंदोलन के बीच बुलाई गई इस बैठक में मौजूदा राजनीतिक हालात को लेकर रणनीति बनाई जाएगी, जिसमें कांग्रेस के उन नेताओं को भी बुलाया गया है जिन्होंने चार महीने पहले सोनिया गांधी को चिट्टी लिखकर पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़े किए थे।
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बता दें कि नाराज 23 नेताओं में से एक राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने इसी साल सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में उन्होंने संगठन को ऊपर से नीचे तक बदलने और पार्टी के अंदर होने होने वाले चुनावों में भी बदलाव की मांग की थी।
पार्टी के एक सूत्र ने बताया कि सोनिया गांधी भी जल्द से जल्द पार्टी के अंदर चल रहे आंतरिक संकट को खत्म करना चाहती हैं और चुनावों में लगातार मिल रही हार को देखते हुए संगठन को मजबूत बनाने के लिए जरूरी कदमों पर चर्चा करना चाहती हैं। सूत्र ने यह भी बताया कि सोनिया गांधी नाराज नेताओं को अलग-थलग करने के पक्ष में नहीं हैं।
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कांग्रेस पार्टी के 23 नेताओं, जिन्हें ग्रुप-23 भी कहा जाता है, ने इसी साल अगस्त महीने में कांग्रेस अध्यक्ष को चिट्ठी लिखी थी। इन नेताओं ने एक 11 सूत्रीय ऐक्शन प्लान का सुझाव देते हुए यह मांग की थी कि पार्टी को एक सक्रिय नेतृत्व मिले।
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बता दें कि पिछले कुछ चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। बिहार विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी को कई राज्यों में स्थानीय निकायों के चुनाव में भी हार का सामना करना पड़ा। राजस्थान में सरकार के बावजूद पार्टी का प्रदर्शन कमजोर रहा। ऐसे में पार्टी मौजूदा हालात पर चर्चा कर एकजुटता का संदेश देना चाहती है।