न्यूज डेस्क
लोकसभा चुनाव में करारी हार और राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष से इस्तीफा देने के बाद से ही कांग्रेस नेतृत्व की समस्या से गुजर रहा है। पिछले कुछ दिनों में पार्टी के अंदर की गुटबाजी बाहर निकल कर आई है। कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड दूसरे दल को ज्वाइन कर लिया है।
हालांकि, सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाकर पार्टी को संभालने की कोशिश की गई है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी और पीएम नरेंद्र मोदी के मोहपाश से कांग्रेस नेता नहीं बच पा रहे हैं। कांग्रेस के हाथ से अमेठी की पारंपरिक सीट छीनने के बाद बीजेपी का अगला निशाना रायबरेली है। इसके लिए बीजेपी के नेता लगातार प्रयास भी कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश की कमान अपने हाथों में लेकर लगातार योगी सरकार पर निशाना साध रही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के ऊपर रायबरेली बचाने की बड़ी जिम्मेदारी है। लेकिन अभी तक उनकी कोशिशें रंग नहीं दिखा पा रही हैं।
यूपी में कांग्रेस की एकमात्र बची रायबरेली लोकसभा सीट को भी बचाने की सबसे बड़ी चुनौती प्रियंका के सामने है। कांग्रेस के इस पुराने किले में सेंध लगाने में लगभग सफल हो चुकी बीजेपी ने कांग्रेस के दो विधायकों को ‘मोहपाश’ में कर वहां सियासी गणित ही बदल दिया है।
गौरतलब है कि प्रदेश में कांग्रेस का बुरा दौर लंबे समय से चल रहा है, लेकिन इस बीच अमेठी और रायबरेली ऐसे संसदीय क्षेत्र थे, जिन पर गांधी परिवार को कब्जा दशकों से अनवरत था। बीजेपी ने राहुल गांधी के कब्जे से अमेठी इस लोकसभा चुनाव में छीन ली। जब राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा यूपी में सक्रिय हुईं तो उनकी मेहनत अमेठी में खासतौर पर शुरू हो गई।
प्रयास यही है कि इस सीट को दोबारा कांग्रेस के खाते में डाला जाए,मगर इसी बीच बीजेपी ने कांग्रेस को एक और झटका दे दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के क्षेत्र रायबरेली में सत्ताधारी दल ने पैर पसार लिए हैं।
2017 के विधानसभा चुनाव में रायबरेली की पांच में से दो-दो सीट भाजपा और कांग्रेस ने जीतीं, जबकि एक सपा को मिली। बीजेपी धीरे-धीरे वहां अपनी रणनीति पर काम करती रही। नतीजा सामने है। कांग्रेस विधायक राकेश सिंह तो पहले ही बागी हो चुके थे। अब विधायक अदिति सिंह ने भी बगावत कर दी है। वह भी भाजपा के रंग में डूबी नजर आ रही हैं।
अब राजनीतिक मजबूरियों में भले ही कांग्रेस इन दोनों विधायकों से नाता न तोड़े, लेकिन दो सीट व्यावहारिक तौर पर तो कांग्रेस के हाथ से गईं। इन दो विधायकों के सहारे भाजपा अब कांग्रेस के संगठन में भी आरी चला सकती है। ऐसे में अब प्रियंका वाड्रा के सामने अमेठी की खोई जमीन वापस हासिल करने के साथ ही अपनी मां सोनिया गांधी की सीट को अगले लोकसभा चुनाव में बचाने की चुनौती कड़ी हो गई है।