जुबिली पोस्ट ब्यूरो
सोनभद्र। जब कोई सरकारी विभाग अपनी कार्यप्रणाली को लेकर संदेह के घेरे में आता है तो सबसे पहले उस विभाग में शार्ट सर्किट या किसी अन्य वजह से आग लगती है और फिर उससे जुड़ी फाइले खाक हो जाती है। ऐसा वर्षों से होता आ रहा है। ताजा मामला सोनभद्र का सामने आया है, जहां आग तो नहीं लगी है लेकिन आदिवासियों के जमीन से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब हो गए हैं।
शासन और प्रशासन में इसकी जानकारी मिलते ही हड़कंप मच गया। शासन द्वारा कई बार फाइलें मागें जाने पर भी नहीं मिलीं तो संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की चेतावनी दी गयी। इस पर बीते शनिवार को छुट्टी होने के बावजूद दिन भर रिकॉर्ड खंगाला जाता रहा लेकिन संबंधित फाइलें नहीं मिलीं।
दरअसल सोनभद्र में राजनेताओं, अधिकारियों और दबंगों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर वन विभाग की जमीन कब्जाने की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की गई थी। शिकायत में बसपा शासनकाल में जेपी ग्रुप को अवैध रूप से एक हजार हेक्टेयर से ज्यादा जमीन देने का मामला भी प्रकाश में आया था। एक हजार हेक्टेयर से ज़्यादा ज़मीन जेपी ग्रुप को देने सबंधी फाइलें भी गायब हैं।
सीएम कार्यालय ने मांगी थी रिपोर्ट
सीएम कार्यालय द्वारा वन विभाग से पूरे मामले पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी गयी थी। सूत्रों के अनुसार जब जवाब तैयार करने के लिए फाइलें खंगाली जाने लगी तो जो स्थिति सामने आई उससे अधिकारी भी हैरान रह गए।
मामले से जुड़ी कई महत्वपूर्ण फाइलें शासन के पास हैं ही नहीं। इन्हें वन मुख्यालय से शासन को भेजा गया था। सबसे चौंकाने वाली बात जेपी ग्रुप को जमीन देने से संबंधित फाइलों का न मिलना है। बताते हैं कि जेपी ग्रुप को जिन दस्तावेजों के आधार पर जमीन दी गई थी, उस पर वन विभाग के कई अधिकारियों ने साइन करने से भी इंकार कर दिया था।
जमीनी विवाद में हुई थी 10 लोगों की मौत
गौरतलब है कि सोनभद्र के घोरावल थानाक्षेत्र के उम्भा-सपही गांव में 17 जुलाई को नरसंहार हुआ था। सौ बीघा विवादित जमीन को लेकर गुर्जर और गोड़ बिरादरी में खूनी संघर्ष हो गया था। इस दौरान फायरिंग के साथ जमकर लाठी-डंडे और फावड़े भी चले थे जिसम 10 लोगों की मौत हो गयी थी और 28 लोग घायल हुए थे। इसके बाद जिले में धारा 144 लागू कर दी गई थी।