न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोनभद्र नरसंहार के लिए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था कि 1955 में जब कांग्रेस की सरकार थी, तभी इस घटना की नींव पड़ गई थी। सोनभद्र में हुए जमीन विवाद के लिए 1955 और 1989 में रही कांग्रेस सरकार जिम्मेदार हैं।
हालांकि, बीजेपी के सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के नेता और दुद्धी विधायक हरिराम की माने तो सोनभद्र में हुए 10 लोगों की जघन्य हत्या के मामले में दोषी सूबे की योगी सरकार है। उनका कहना है कि अगर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदिवासियों की अनदेखी नहीं की होती तो शायद उम्भा गांव में 17 जुलाई को ऐसी घटना नहीं होती।
दुद्धी विधायक हरिराम चेरो ने बताया कि उन्होंने 14 जनवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर उभ्भा गांव के आदिवासियों की पैतृक भूमि पर कथित रूप से भूमाफिया द्वारा कब्जा करने और उन्हें फर्जी मामले में फंसाकर परेशान करने की जानकारी दी थी।
साथ ही उन्होंने 600 बीघा विवादित जमीन और उसे फर्जी सोसायटी बनाकर भूमि हड़पने का आरोप लगाया था। विधायक हरिराम चेरो ने मामले की जांच उच्चस्तरीय एजेंसी से कराने की मांग की थी। इसके बावजूद सीएम ने एनडीए के मुख्य घटक अपना दल (सोनेलाल) के विधायक के पत्र पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
विधायक हरिराम चेरो ने आरोप लगाया था कि भूमाफिया के दबाव में पुलिस और पीएसी के जवान आदिवासियों को प्रताड़ित करते हैं और महिलाओं का शारीरिक शोषण करते हैं। उन्होंने कहा कि ये मेरे विधानसभा का मामला नहीं है, लेकिन मैं आदिवासियों का नेता हूं, इसलिए वहां जन चौपाल लगाकर आदिवासियों ने अपनी समस्या बताई थी। इस दौरान तहसीलदार भी मौजूद थे।
इस जनसुवनाई में एसडीएम को भी आना था, लेकिन वह नहीं आए थे। इस जनसुनवाई के बाद मैंने आदिवासियों की समस्याओं को सीएम के समक्ष रखा था, लेकिन सीएम ने आदिवासियों की फरियाद को अनदेखा कर दिया था। अगर सीएम इस पर कार्रवाई करते तो ऐसी घटना नहीं घटती। विधायक ने कहा कि जिस जाति के आदिवासियों की हत्या हुई है, उसी समाज से मैं भी आता हूं। ये आदिवासी आजादी के बाद से ग्रामसभा की जमीन को जोत-बो रहे थे।
गौरतलब है कि सोनभद्र के उभ्भा गांव में इसी सप्ताह 17 जुलाई को जमीन के विवाद में 10 लोगों की हत्या कर दी गई थी और कई लोग घायल हो गए थे। इसके बाद सिसायी खेल शुरू हो गया था। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पीड़ितों से मिलने के धरने तक पर बैठ गई थीं और उसके बाद घटना में पीड़ितों को 10-10 लाख देने का एलान किया। इसके बाद सीएम योगी भी सोनभद्र गए और पीड़ितों से मिलकर उनका हालचाल जाना।
बताते चलें कि उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में बुधवार को 200 बीघा जमीन विवाद के बाद ग्राम प्रधान और ग्रामीणों के बीच हुई लड़ाई में एक ही पक्ष के 10 लोगों हत्या कर दी गई थी। इस नरसंहार में ग्राम प्रधान सहित 11 नामजद और 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। इस मामले में ग्राम प्रधान के भतीजे समेत 24 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। हालांकि, मुख्य आरोपी प्रधान अभी फरार है। इस जमीन पर कब्जे को लेकर गुर्जर (भूर्तिया) और गोड़ बिरादरी के लोगों के बीच विवाद चल रहा था।
खबरों की माने तो 16 जुलाई को जमीन पर कब्जा करने के लिए 32 ट्रैक्टर-ट्रालियों में भरकर प्रधान समेत 300 लोग पहुंचे थे। इस दौरान गांव के पक्ष भी वहां पहुंच गए। इसके बाद बात बेखौफ दबंगों ने जमीन की खातिर दिनदहाड़े ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर 10 लोगों की हत्या कर दी।
पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने बताया कि सोनभद्र के घोरावल थाना क्षेत्र के उधा गांव में दो साल पहले ग्राम प्रधान यज्ञदत्त ने एक बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी से 90 बीघा जमीन खरीदी थी। यज्ञदत्त ने इस जमीन पर कब्जे के लिये बड़ी संख्या में अपने साथियों के साथ पहुंचकर ट्रैक्टरों से जमीन जोतने की कोशिश की। स्थानीय ग्रामीणों ने इसका विरोध किया। इसके बाद ग्राम प्रधान पक्ष के लोगों ने स्थानीय ग्रामीणों पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं।
पुलिस महानिदेशक ने बताया कि पुलिस ने जमीन के विवाद में ग्राम प्रधान पक्ष को पूर्व में भी पाबंद किया था और उसकी सम्पत्ति कुर्क करने की कार्रवाई भी मजिस्ट्रेट के यहां चल रही है। उन्होंने बताया कि इस घटना के बाद मध्य प्रदेश पुलिस को भी सतर्क कर दिया गया है। जरूरत पड़ने पर जमीन बेचने वाले आईएएस अधिकारी के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
दरअसल, आदिवासी बाहुल इस गांव में लोगों की जीविका का साधन सिर्फ खेती है। ये भूमिहीन आदिवासी सरकारी जमीन जोतकर अपना गुजर-बसर करते आए हैं, जिस जमीन के लिए यह संघर्ष हुआ उस पर इन आदिवासियों का 1947 के पहले से कब्ज़ा है। 1955 में बिहार के आईएएस प्रभात कुमार मिश्रा और तत्कालीन ग्राम प्रधान ने तहसीलदार के माध्यम से जमीन को अद्रश कोआपरेटिव सोसाइटी के नाम करा लिया। चूंकि उस वक्त तहसीलदार के पास नामांतरण का अधिकार नहीं था, लिहाजा नाम नहीं चढ़ सका।
इसके बाद आईएएस ने 6 सितंबर, 1989 को अपनी पत्नी और बेटी के नाम जमीन करवा लिया। जबकि कानून यह है कि सोसाइटी की जमीन किसी व्यक्ति के नाम नहीं हो सकती। इसके बाद आईएएस ने जमीन का कुछ हिस्सा बेच दिया। इस विवादित जमीन को आरोपी यज्ञदत्त ने अपने रिश्तदारों के नाम करवा दिया। बावजूद इसके उस पर कब्ज़ा नहीं मिल सका। इसके बाद बुधवार को करीब 300 की संख्या में हमलावारों के साथ आए ग्राम प्रधान ने यहां खून की होली खेली।
रोंगटे खड़े कर देने वाली यह वारदात हाल के वर्षों में प्रदेश में हुई सबसे ज्यादा रक्तपात वाली घटना है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने घटना का संज्ञान लेते हुए मिर्जापुर के मण्डलायुक्त और वाराणसी जोन के अपर पुलिस महानिदेशक को घटना के कारणों की संयुक्त रूप से जांच करने के निर्देश दिये हैं। साथ ही लापरवाही सामने आने पर जिम्मेदारी तय करते हुए 24 घण्टे में रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिये हैं।
साथ ही योगी ने इस घटना में मारे गये लोगों के परिजन को पांच-पांच लाख रुपये की सहायता का एलान किया है। उन्होंने जिलाधिकारी सोनभद्र को निर्देश दिए हैं कि वह बताएं कि ग्रामवासियों को पट्टे आखिर क्यों मुहैया नहीं कराए गए थे।
इस मामले में पुलिस ने पांच और आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों का नाम दीनानाथ, रामधनी, हरिश्चंद्र, फूलचंद्र और विजय है। सोनभद्र मामले में अब तक कुल 34 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जिसमें से 16 लोग नामजद अभियुक्त हैं। इन नामजद अभियुक्तों में से मुख्य ग्राम प्रधान यज्ञ दत्त सिंह भी शामिल है।