Tuesday - 29 October 2024 - 2:49 PM

बुंदेली साहित्य का सपूत

लखनऊ डेस्क. केदारनाथ अग्रवाल बुंदेलखंड के कवियों में एक प्रमुख नाम है। इन्होंने बुंदेलखंड को साहित्यिक रूप से एक अलग पहचान दिलाई, एक अप्रैल 1911 में जन्मा यह कवि सन 2000 में अपनी मृत्यु के पहले तक लिखता ही रहा और उसने बुंदेलखंड के ग्रामीण अंचल को बाखूबी अपने साहित्य में स्थान दिया।

उन्होंने शोषितों, वंचितों, मजदूरों को अपनी कविता का विषय बनाया। उन्होंने पूँजीवादी वर्चस्ववाद को तोड़ने के लिए सामूहिक संगठन की पुरजोर कोशिश की।

उनकी कविता “एका का बल” इसी पर आधारित है। जनपद बाँदा के कमासिन गांव में जन्में कवि केदारनाथ ने वकालत के पेशे को अपने जीवन निर्वाह के लिए चुना।

उन्होंने गुलमेहंदी, जो शिलाएं तोड़ते है, कहे केदार खरी खरी, आग का आईना, फूल नही रंग बोलते है, पंख और पतवार, युग की गंगा, आत्मगंध,अपूर्वा आदि विविध विषयों से आपूरित काव्य कृतियां है।

Jubilee Post

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com