Tuesday - 30 July 2024 - 4:39 PM

विलुप्त होने की कगार पर सोन चिरैया

दुनिया में उड़ने वाली पक्षियों में सबसे वजनदार पक्षियों में से एक सोन चिरैया की प्रजाति विलुप्त होने की कगार पर है।

वन्यजीव संगठनों कॉर्बेट फाउंडेशन कंर्जवेशन इंडिया और सेंक्चुयरी नेचर फाउंडेशन के सहयोग से सोन चिरैया को बचाने के लिए एक आपातकालीन अभियान की शुरुआत की गई है।

सोन चिरैया एक मीटर उंची होती है और इसका वज़न 15 किलो होता है। भारत जो अब सोन चिरैया का एक मात्र घर बचा है, पांच राज्यों में इनकी संख्या 150 तक सिमट कर रह गई है।

गंभीर सूची में शामिल

इंटरनेश्नल यूनियन फ़ॉर कंज़र्वेशन ऑफ़ नेचर यानि आईयूसीएन द्वारा इसे गंभीर संकटग्रस्त लिस्ट में सूचीबद्ध किया गया है। वन्यजीव सरंक्षण अधिनियम,1972 के अंतर्गत इसे सर्वोच्च श्रेणी अनुसूची एक में रखा गया है। साथ ही सोन चिरैया को केंद्र प्रायोजित योजना वन्यजीव आवास का एकीकृत विकास के अंतर्गत भी शामिल किया गया है।

राजस्थान का राजकीय पक्षी

बता दें कि सोन चिरैया राजस्थान का राजकीय पक्षी है जहां इसको गोडावण कहा जाता है। पहले यह पक्षी भारत और पाकिस्तान के शुष्क और अर्ध-शुष्क घास के मैदानों में पाया जाता था।

वहीं, भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और तमिलनाडु राज्यों के घास के मैदानों में व्यापक रूप से पाया जाता था। लेकिन अब यह पक्षी कम जनसंख्या के साथ राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और मध्य प्रदेश राज्यों में पाया जाता है।

हैं कई उपनाम

यह पक्षी ‘सोन चिरैया’, ‘सोहन चिडिया’ तथा ‘शर्मिला पक्षी’ के उपनामों से भी प्रसिद्ध है। इसका वैज्ञानिक नाम ,’Ardeotis nigriceps’ है। गोडावण का अस्तित्व वर्तमान में खतरे में है तथा इनकी संख्या बहुत कम ही बची है। यह प्रजाति विलुप्ति की कगार पर है।

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