न्यूज डेस्क
देश के भावी मुख्य न्यायाधीश के नाम पर राष्ट्रपति की मुहर लग चुकी है। जस्टिस शरद अरविंद बोबडे जस्टिस रंजन गोगोई की जगह लेंगे। जस्टिस बोबडे ने एक साक्षात्कार में कहा कि भारत में कुछ लोगों के पास अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बहुत ज़्यादा है और कुछ के पास बहुत कम।
द टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए गए एक साक्षात्कार में जस्टिस बोबडे ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी की बहस के दो पक्ष हैं। इस बहस का एक वो पहलू है जहां कुछ लोग सार्वजनिक और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर कुछ भी कहकर निकल जाते हैं और उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। दूसरा पहलू ये है कि कुछ लोगों को अपनी बात रखने के लिए सताया जाता है।
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मालूम हो कि जस्टिस एसए बोबडे भारत के 47वें मुख्य न्यायाधीश होंगे। वे 18 नवंबर को पद की शपथ लेंगे। वहीं, 17 नवंबर को मौजूदा मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई सेवानिवृत्त होंगे। जस्टिस बोबडे 23 अप्रैल 2021 तक यानी करीब 17 महीने इस पद पर रहेंगे।
24 अप्रैल 1956 को जन्मे जस्टिस एसए बोबडे नागपुर में पले-बढ़े। उनके पिता अरविंद बोबडे महाराष्ट्र के एडवोकेट जनरल थे। 1978 में एसए बोबडे ने नागपुर यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्री ली। उसी साल उन्होंने वकालत शुरू की और बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में प्रैक्टिस की। 1998 में उन्हें सीनियर एडवोकेट नामित किया गया। 29 मार्च 2000 को न्यायमूर्ति एसए बोबडे बॉम्बे हाईकोर्ट में एडिशनल जज बने। 16 अक्टूबर 2012 में उन्हें मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया और अगले ही साल वे सुप्रीम कोर्ट में आ गए।
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