जुबिली न्यूज डेस्क
पटना. सोशल मीडिया प्लेटफार्म आज के दौर में खुद को सबके सामने पहुचाने का सबसे आसान तरीका है, इस सोशल मीडिया के दौर में कई लोग अलग अलग प्लेटफॉर्म पर खबर देने का काम करते हैं. ऐसे में कुछ लोग फेक खबर को बिना जांचे अपलोड कर देते हैं.
यानी कि सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म के जरिए भ्रामक या झूठी वीडियो या फोटो डाल देते हैं. ऐसे भ्रामक वीडियो, फोटो और न्यूज के कारण कई बार स्टेट में कानूनी व्यवस्था की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है. इसके बाद पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ती है.
ऐसे में आर्थिक अपराध इकाई के साइबर सेल के एसपी सुशील कुमार ने बताया कि लोगों को कुछ भी पोस्ट करने से पहले उसकी सत्यता की जांच कर लेनी चाहिए, अन्यथा परेशानी बढ़ सकती है.
आर्थिक अपराध इकाई के साइबर सेल के एसपी सुशील कुमार ने बताया कि जो लोग यूट्यूब, फेसबुक समेत अलग-अलग माध्यमों के जरिए खबर दे रहे हैं, उनको भारत सरकार के 2019 में जारी गाइडलाइन का पालन करना चाहिए. किसी भी वीडियो या पोस्ट को बिना सत्यापित किए अपने प्लेटफॉर्म पर शेयर ना करें. अगर आप किसी भ्रामक खबर, पोस्ट या फिर फोटो, वीडियो को अपने सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर करते हैं तो आप पर कार्रवाई का जा सकती है.
सावधानी से करें सोशल मीडिया का प्रयोग
सोशल मीडिया पर कुछ भी पोस्ट, रीट्वीट या शेयर करने से पहले उसकी सत्यता की जांच करना ना भूलें. सोशल मीडिया पर किसी भी सूचना की सच्चाई पता किए बिना शेयर करना खतरनाक साबित हो सकता है.
आपको बता दें कि आईटी एक्ट-2000 की धारा 67 के तहत अगर कोई पहली बार सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने का दोषी पाया जाता है, तो उसे तीन साल की जेल हो सकती है.
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साथ ही 5 लाख रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है. अगर यही अपराध दोहराया तो दोषी को 5 साल की जेल और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है.
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