जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। कभी उत्तर भारत की अपराध की राजधानी माने जाने वाला गोरखपुर अब गारमेंट इंडस्ट्री हब बनने के लिए तैयार है। यहां तक कि कपड़ा इंडस्ट्री को प्रोत्साहित करने के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश में जगह भी दी जा रही है।
गोरखपुर इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (जीआईडीए) 4 एकड़ जमीन देगी, जिस पर कारखाना बनाकर उसे उद्यमियों को उपलब्ध कराया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस प्रोजेक्ट में गहरी दिलचस्पी ले रहे हैं। उन्होंने कहा है कि रेडीमेड कपड़ों का व्यवसाय ऐसा है कि जिसमें कम पूंजी लगती है और ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है।
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मुख्यमंत्री ने कहा है अकेले गोरखपुर में 350 करोड़ की पूंजी से रेडीमेड कपड़ों के कारोबार में 15 हजार से ज्यादा लोगों को सीधे रोजगार मिला है। ऐसा एमएसएमई के जरिए इस पारंपरिक उद्यम से ही संभव है। अब हमारा लक्ष्य 50 हजार लोगों को रोजगार देने का है।
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आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन में रेडीमेड कपड़ों के क्षेत्र में काम करने वाले 10 हजार प्रवासी कर्मचारी गोरखपुर लौट आए थे। इन लोगों को रोजगार पाने में ओडीओपी ने मदद की और प्रशासन भी उनकी मदद के लिए आगे आया है।
मुख्यमंत्री ने पहले ही अधिकारियों को व्यापक दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं कि वे एमएसएएमई को आत्मनिर्भर पैकेज के तहत ऋण की आसान उपलब्धता सुनिश्चित करें। इसके लिए बाजार की जरूरत के अनुसार उत्पाद तैयार करने, लोगों को प्रशिक्षण देने को लेकर कार्य योजना भी तैयार की जा रही है।
सरकार के प्रवक्ता ने कहा है इस समय गोरखपुर में लगभग 2,500 करोड़ रुपये का कपड़ा बाजार है, जिसमें से 2,000 करोड़ रुपये के रेडीमेड कपड़ों की आपूर्ति बाहर से होती है। आने वाले दिनों में उद्यमी खुद कपड़ों का स्थानीय रूप से उत्पादन करके यह व्यवसाय अपने हाथ में ले सकते हैं। गोरखपुर की आबादी लगभग 55 लाख है और इनमें से लगभग 25 लाख महिलाएं हैं, जिन्हें इंटरप्रिन्योर बनने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
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