न्यूज डेस्क
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। कोर्ट के फैसले पर केन्द्र सरकार ने अमल करना शुरु कर दिया है। मंदिर के लिए ट्रस्ट बनाने के आदेश पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 7 दिन में सभी संबंधित पक्षों से बात करने और ट्रस्ट की रूपरेखा तय करने को कहा है।
ऐसा माना जा रहा है कि फरवरी में मंदिर का शिलान्यास हो सकता है। हालांकि तारीख ट्रस्ट और पुजारी ही तारीख तय करेंगे, लेकिन सूत्रों के मुताबिक अगर फरवरी में किसी कारणवश शिलान्यास न हो पाया तो भी अप्रैल में रामनवमी तक हर हाल में कर लिया जाएगा।
माना जा रहा है कि अगले साल 2 अप्रैल को भगवान राम के जन्मदिन रामनवमी के दिन एक विशेष कार्यक्रम में भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू हो सकता है। इस मामले से जुड़े लोगों ने बताया कि राम मंदिर के निर्माण के लिए टाइमलाइन सुप्रीम कोर्ट के 9 नवंबर के आदेश के मुताबिक ही है। इस आदेश में कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया था।
हांलाकि यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि यह राम मंदिर का शिलान्यास होगा या नहीं, क्योंकि वर्ष 1989 में राम मंदिर का शिलान्यास हो चुका है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक मंदिर बनाने में दो से तीन साल का समय लग सकता है।
सूत्रों के मुताबिक 9 नवंबर की शाम को पीएम मोदी ने अफसरों से अयोध्या पर फैसले की बारीकियों को समझा और उस पर अमल की रणनीति पर चर्चा की। ब्राजील में ब्रिक्स की बैठक से लौटने के बाद अगले हफ्ते फिर वह मामले में प्रगति को देखेंगे।
इतना तय है कि मंदिर निर्माण के लिए बनने वाला श्री राम मंदिर ट्रस्ट पीएमओ की निगरानी में होगा। इसे सोमनाथ मंदिर या वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड की तर्ज पर बनाया जा सकता है। इसमें मोदी और शाह होंगे या नहीं, यह तय नहीं है। लेकिन इनके करीबी जरूर होंगे।
सोमनाथ ट्रस्ट की तर्ज पर बन सकता है राम मंदिर ट्रस्ट
उच्चतम न्यायालय के फैसले के मुताबिक विवादित 2.77 एकड़ जमीन प्रस्तावित ट्रस्ट को सौंपने और पांच एकड़ जमीन सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को देने का काम एक साथ होना है। वक्फ बोर्ड इसी महीने तय करेगा कि क्या वह पांच एकड़ जमीन लेगा और अगर हां तो कहां की जमीन लेगा।
राम मंदिर ट्रस्ट दूसरे बड़े मंदिरों की तरह सोमनाथ ट्रस्ट, अमरनाथ श्राइन बोर्ड या माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की तर्ज पर बन सकता है।
केंद्र को विवादित स्थल के आसपास अधिग्रहीत 62.23 एकड़ जमीन के बाकी हिस्से का कब्जा प्रस्तावित ट्रस्ट को सौंपना होगा। जमीन का 43 एकड़ हिस्सा राम जन्म भूमि न्यास से अधिग्रहीत किया गया था, इसलिए ट्रस्ट में न्यास का भी प्रतिनिधि हो सकता है। न्यास ने अधिग्रहण के समय जमीन के लिए सरकार से कोई मुआवजा नहीं लिया था। बाकी 20 एकड़ जमीन पर मानस भवन, संकट मोचन मंदिर, कथा मंडप और जानकी महल जैसे निकायों का मालिकाना हक है।
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