न्यूज डेस्क
एक बार फिर तेज बहादुर यादव चर्चा में है। लोकसभा चुनाव के दौरान तेज बहादुर इसलिए चर्चा में थे, क्योंकि वह मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाए। इस बार भी चुनाव लडऩे को लेकर ही चर्चा में हैं ।
हरियाणा में विधानसभा चुनाव का आगाज हो चुका है। तेज बहादुर यादव ने पिछले दिनों जननायक जनता पार्टी यानी जेजेपी ज्वाइन किया था। उन्होंने चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी। जेजेपी ने उन्हें करनाल सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है।
मालूम हो करनाल विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर चुनाव लड़ रहे हैं। मतलब तेज बहादुर अब मुख्यमंत्री खट्टर को चुनौती देंगे, लेकिन सवाल उठता है कि क्या तेज बहादुर खट्टर को चुनौती दे पायेंगे। क्या चुनाव आयोग उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति देगा। जाहिर है यह सवाल ऐसे ही नहीं उठ रहा। लोकसभा चुनाव के दौरान तेज बहादुर के साथ क्या हुआ था सभी को मालूम है।
करीब दो साल पहले एक वीडियो वायरल हुआ था जिसने पूरे देश में हलचल मचा दी थी। वीडियो था सैनिकों को मिलने वाले खाने का।
2017 में बीएसएफ के जवान हरियाणा के रेवाड़ी के तेज बहादुर यादव ने जवानों को मिलने वाले खाने की गुणवत्ता को लेकर शिकायत दर्ज करायी थी। उन्होंने फेसबुक के माध्यम से सवाल उठाया था।
तेज बहादुर का यह वीडियो सेना में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल खोलने के लिए काफी था, लेकिन उन्हें रोटी पर सवाल उठाना महंगा पड़ा और उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।
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कुछ दिनों बाद तेज बहादुर यादव का मामला दब गया, लेकिन अप्रैल महीने में लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान कर तेज बहादुर ने हलचल मचा दिया था। वहां का सियासी समीकरण बदलने लगा था, लेकिन उनकी मंशा पूरी नहीं हुई। तेज बहादुर ने दो बार नामांकन भरा लेकिन चुनाव आयोग ने नामांकन रद्द कर दिया।
पहली बार तेज बहादुर बतौर निर्दलीय प्रत्याशी नामांकन भरे। जब नामांकन रद्द हो गया तो समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उन्हें सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतारने की घोषणा की। जब दोबारा तेज बहादुर ने पर्चा भरा तो फिर चुनाव आयोग ने निरस्त कर दिया।
तेज बहादुर ने जब पहली बार नामांकन किया था तो अपने हलफनामे में माना था कि उन्हें सरकारी नौकरी से बर्खास्त किया गया है, लेकिन सपा उम्मीदवार के रूप में नामांकन भरते समय उन्होंने इस बात का जिक्र नहीं किया था। इसी को लेकर चुनाव आयोग ने तेज बहादुर को बीएसएफ से नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट यानी एनओसी लाने को कहा था, लेकिन वह एनओसी नहीं दे पाये थे, जिसकी वजह से उनका नामांकन रद्द कर दिया गया था।
अब चूंकि एक बार फिर तेज बहादुर चुनावी अखाड़े में उतरने के लिए तैयार हैं तो सबकी निगाहें चुनाव आयोग की तरफ है। सभी के जेहन में यही सवाल कौध रहा है कि क्या तेज बहादुर को चुनाव लड़ने का मौका चुनाव आयोग देगा।
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