न्यूज डेस्क
असम में एनआरसी लागू होने के बाद जो तस्वीर सामने आई वह लोगों के लिए डरावनी थी। असम ही नहीं एनआरसी का असर दूसरे प्रदेश में भी देखने को मिला। पश्चिम बंगाल में तो लोग एनआरसी के खौफ से नगर निगम के दफ्तर पर उमड़ पड़े। कुल मिलाकर एनआरसी को लेकर खौफ का माहौल हैं।
फिलहाल एनआरसी को लेकर ऐसी चर्चा हो रही है कि सरकार वर्ष 2021 में राष्ट्रीय स्तर पर जनगणना के बाद देश भर में चरणबद्घ तरीके से असम की तर्ज पर देश भर में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनआरसी) लागू करेगी।
दरअसल यह फैसला राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की अपने अनुषांगिक संगठनों, सरकार के प्रतिनिधियों और भाजपा नेताओं की मैराथन बैठक में लिया गया।
राजधानी के छतरपुर में हुई इस बैठक में भविष्य में नई जनसंख्या नीति, अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद की स्थिति और अयोध्या विवाद के संदर्भ में आने वाले सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर भी लंबी चर्चा हुई।
31 अक्टूबर को खत्म हुई इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महासचिव बीएल संतोष ने भी हिस्सा लिया।
बैठक में उपस्थित संघ के अनुषांगिक संगठन के एक प्रतिनिधि के अनुसार एक सत्र में एनआरसी पर विशेष चर्चा हुई। इस दौरान संघ के एक वरिष्ठ नेता ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी बताते हुए कहा कि नागरिकों की पहचान और घुसपैठियों को चिन्हित करने के लिए देश के सभी राज्यों में एनआरसी लागू करने की प्रक्रिया जल्द शुरू की जानी चाहिए।
बैठक में लंबे विमर्श के बाद आखिरकार वर्ष 2021 में होने वाली जनगणना के बाद एनआरसी को चरणबद्ध् तरीके से राज्यों में लागू किए जाने पर सहमति बनी। तय किया गया कि इसके लिए सबसे पहले उन राज्यों का चयन किया जाए जहां घुसपैठ की समस्या ने गंभीर रूप ले लिया है।
यह भी तय किया गया कि एनआरसी के समर्थन में माहौल तैयार किया जाना चाहिए। लोगों को बताया जाना चाहिए कि यह प्रक्रिया देश की सुरक्षा के लिए जरूरी है और इसका किसी विशेष धर्म से कोई लेना देना नहीं है।
इसके अलावा बैठक में सबसे अधिक चर्चा अयोध्या मामले में आने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर हुई। संघ चाहता है कि पक्ष में फैसला आने के बाद इसका असर सामाजिक सद्भाव पर नहीं पड़े। इससे बचने केलिए संघ ने अपने अनुषांगिक संगठनों के जरिये फैसले के बाद समर्थकों को उन्माद में आने से रोकने की व्यूह रचना की है। संघ चाहता है कि निर्णय पर प्रतिक्रिया जताने के दौरान समर्थन संयमित और शालीन रहें।
जनसंख्या नीति की जरूरत पर दिया गया बल
इतना ही नहीं बैठक के एक सत्र में नई जनसंख्या नीति की जरूरत पर बल दिया गया। संघ का मानना है कि जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए जल्द ही नई जनसंख्या नीति लागू किये जाने की जरूरत है। इस दौरान असम सरकार द्वारा दो बच्चों से अधिक बच्चों वाले माता-पिता को सरकारी नौकरी से वंचित किए जाने के फैसले का स्वागत किया गया। जनसंख्या नियंत्रण के लिए संघ ने भाजपाशासित अन्य राज्यों से भी ऐसी ही नीति बनाने की उम्मीद जताई है। संघ चाहता है कि दो बच्चों से अधिक बच्चों वाले माता-पिता को सरकारी योजनाओं के लाभ से भी वंचित किया जाना चाहिए।
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