जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ज़मानत पर रिहा हो चुके हैं. रिहाई के बाद एम्स से अपने दिल्ली स्थित आवास में भी शिफ्ट हो चुके हैं. बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान लालू रांची में चारा घोटाले की सज़ा काट रहे थे. उनकी गैरमौजूदगी में तेजस्वी यादव ने राष्ट्रीय जनता दल को शानदार तरीके से चुनाव लड़वाया लेकिन सीटों के गणित में मामूली अंतर की वजह से सबसे बड़ा दल होकर भी राजद सरकार नहीं बना पाई.
लालू यादव बिहार की नब्ज़ को भी अच्छे से पढ़ना जानते हैं और सियासत को भी बहुत अच्छे से समझते हैं. यही वजह है कि बिहार की नीतीश कुमार की सरकार नहीं चाहती थी कि लालू यादव रिहा होकर बाहर आयें.
लालू रिहा होकर भी पटना नहीं लौटे हैं क्योंकि कोरोना काल में वह उनका परिवार कोई रिस्क नहीं लेना चाहता लेकिन दिल्ली में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की लालू प्रसाद यादव से मुलाक़ात के बाद से नीतीश सरकार के लिए खतरे की घंटी बज गई है. मांझी हालांकि बिहार में एनडीए के साथ खड़े हैं लेकिन लालू से उनकी मुलाक़ात को हलके में नहीं लिया जा सकता. राजद ने तो कहना भी शुरू कर दिया है कि इस बार की बारिश में एनडीए की नाव डूब जायेगी.
जीतन राम मांझी और लालू यादव की मुलाक़ात इस वजह से और भी अहम हो जाती है क्योंकि कल दो जून को मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी है. मांझी के अलावा मुकेश सहानी ने भी लालू यादव से मुलाक़ात की है. मांझी और सहानी की भाषा एक जैसी होने की वजह से बिहार की सियासत में उबाल आना लाज़मी है.
नीतीश सरकार को लालू यादव का कितना डर है इसका अंदाजा चुनाव के फ़ौरन बाद लालू की जदयू विधायक से फोन पर बातचीत का आडियो वायरल होने के बाद ही हो गया था. बिहार चुनाव के बाद अचानक से हाशिये पर आ गए पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने लालू के फोन का मुद्दा उठाया तो रातों-रात राज्यसभा चले गए थे.
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मांझी और सहानी की लालू से मुलाक़ात को लेकर दिखावे के लिए नीतीश की पार्टी कुछ ख़ास मानने को तैयार नहीं है लेकिन जिस तरह से राजद में उत्साह अचानक से बढ़ा है उसे देखते हुए यह बात साफ़ है कि कोरोना का असर कम होने के बाद लालू जब बिहार लौटेंगे तब नीतीश की सरकार के सामने मुश्किलें बढ़ जायेंगी. राजद ने तो यह मान ही लिया है कि लालू के आने के बाद इस बारिश में नीतीश की नाव डूब जायेगी.