न्यूज डेस्क
दिल्ली में चुनावी सरगर्मी चरम पर है। जहां आम आदमी पार्टी ने अपने सभी प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है तो वहीं भाजपा और कांग्रेस ने भी कुछ सीटों को छोड़ बाकी का कर दिया है। फिलहाल इस बीच खबर है कि बीजेपी के सहयोगी दल शिरोमणि अकाली दल और जनता दल के बीच विधानसभा सीट बंटवारे को लेकर रविवार देर रात बैठक हुई है।
इस बैठक में नई दिल्ली विधानसभा सीट समेत शेष 13 सीटों पर उम्मीदवारों को लेकर मंत्रणा हुई। दरअसल बीजेपी की सहयोगी दल जनता दल यू और शिरोमणि अकाली दल भाजपा के साथ मिलकर दिल्ली में विधानसभा चुनाव लडऩे की योजना बना रही हैं। इसलिए सीटों को लेकर एनडीए में खींचतान मची हुई है।
अकाली दल के वरिष्ठ नेता के मुताबिक उनकी पार्टी 4 सीटों की मांग कर रही है जबकि बीजेपी तीन सीट देने को तैयार है। वहीं जदयू भी अकाली दल की तरह ही चार विधानसभा सीटों की मांग कर रही है जबकि बीजेपी एक सीट देने के पक्ष में है।
फिलहाल इस मामले में अंतिम निर्णय लिया जाना अभी बाकी है। यदि सीटों को लेकर बीजेपी, जदयू और अकाली दल में सहमति बन जाती है तो यह पहली बार होगा जब बीजेपी दिल्ली में दो सहयोगियों के साथ चुनाव लड़ेगी।
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गौरतलब है कि भाजपा ने बुराड़ी, नांगलोई जाट, दिल्ली छावनी, कस्तूरबा नगर, संगम विहार और सीमापुरी के लिए उम्मीदवारों की घोषणा अभी नहीं की है। बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि पार्टी ने आकाली दल को चार निर्वाचन क्षेत्र- राजौरी गार्डन, हरि नगर, शाहदरा और कालकाजी देने का फैसला किया है। अकाली दल 2015 में चार सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत सिर्फ एक सीट पर दर्ज की थी।
पूर्वांचल समुदाय के लुभाने में मिलेगी मदद
दिल्ली में पूर्वांचल के लोगों की भारी संख्या है। यदि बीजेपी, जदयू के साथ मिलकर चुनाव लड़ती है तो वह इन मतदाताओं को लुभाने में मदद मिलेगी। पूर्वांचल के लोगों को लुभाने के लिए बीजेपी पूरी कोशिश कर रही है।
अनाधिकृत कॉलोनियों पर मालिकाना हक जताने के केंद्र के फैसले का उद्देश्य भी इस समुदाय के समर्थन को प्राप्त करना है क्योंकि पूर्वांचल का एक बड़ा हिस्सा इन कॉलोनियों में रहता है। 2015 के विधानसभा चुनावों में अनाधिकृत कॉलोनियों ने आम आदमी पार्टी की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसमें उसने 70 में से 67 सीटें जीती थीं।
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