जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। कोरोना महामारी को देखते हुए इस साल नवंबर- दिसंबर में होने वाला उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव छह महीने के लिए टल सकता है। सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार पंचायत चुनाव को 6 महीने के लिए टालने की योजना बना चुकी है। साथ ही तैयारी है कि 25 दिसंबर को प्रधानों के पांच साल के कार्यकाल पूरा होने से पहले एक शासक की नियुक्ति कर दी जाए।
पंचायती राज विभाग के सूत्रों की माने तो पंचायत चुनाव के लिए कई चरण में होने वाली गतिविधियों की चर्चा छह महीने पहले ही शुरू हो जाती थी। लेकिन इस बार न तो सरकार के स्तर पर और न ही विभाग में इस पर कोई बात हो रही है। इससे जाहिर होता है कि सरकार अभी पंचायत चुनाव कराने के मूड में कतई नहीं है।
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पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र चौधरी ने इस मामले पर कहा कि सरकार पूरी कोशिश करेगी कि पंचायत चुनाव समय पर हो जाएं। उनके मुताबिक ‘जहां तक बात है चुनाव को टालने की तो वह नीतिगत फैसला है। उस संबंध में मैं अभी कोई टिप्पणी नहीं कर सकता। हां, इतना जरूर कह सकता हूं कि अभी हमारे पास पर्याप्त समय है और हम चुनाव तय समय पर कराएंगे।’
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राज्य निर्वाचन आयोग के एडिशनल कमिश्नर वी.पी. वर्मा के मुताबिक भले ही हमारे पास टाइम कम हो लेकिन हम समय पर चुनाव करा सकते हैं। हमारा काम परिसीमन अधिसूचना जारी होने के बाद शुरू होता है, हम उसका इंतजार कर रहे हैं।
पंचायत चुनाव से जुड़े सूत्रों की माने तो राज्य सरकार परिसीमन के काम को शुरू कर चुकी थी, लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए इसे बीच में ही रोक दिया गया था। उस समय सरकार की सारी कोशिश संक्रमण को रोकने की थी।
सूत्रों के मुताबिक सरकार पंचायत चुनाव के लिए 500 करोड़ का बजट आवंटित कर चुकी है, लेकिन अब सरकार कोरोना से लड़ने के लिए फंड और जनशक्ति जुटा रही है। ऐसे में छह महीने के लिए चुनाव को स्थगित भी किया जा सकता है। हालांकि जब तक यूपी सरकार का इस मामले पर कोई रुख साफ नहीं करती है, तब तक कुछ कहना पाना मुश्किल है।
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