न्यूज डेस्क
बनारस चर्चा में है। चर्चा की वजह पहले मोदी थे और अब तेज बहादुर यादव। तेज बहादुर के चुनाव में ताल ठोकने के ऐलान के साथ ही बनारस का समीकरण बदलने लगा है। तेज बहादुर अब मोदी के खिलाफ ताल नहीं ठोंक पायेंगे क्योंकि चुनाव आयोग ने उनका नामांकन रद्द कर दिया है। उधर तेज बहादुर चुनाव आयोग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने की तैयारी में है। उन्होंने कहा है कि वह हार नहीं मानने वाले हैं।
मालूम हो तेज बहादुर को समाजवादी पार्टी ने वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया है। सपा प्रत्याशी के रूप में नामांकन से पहले तेज बहादुर ने बतौर निर्दलीय उम्मीदवार नामांकन किया था।
तब अपने हलफनामे में उन्होंने माना था कि उन्हें सरकारी नौकरी से बर्खास्त किया गया है, लेकिन सपा उम्मीदवार के रूप में नामांकन भरते समय उन्होंने इस बात का जिक्र नहीं किया। इसी को लेकर चुनाव आयोग ने तेज बहादुर को बीएसएफ से नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट यानी एनओसी लाने को कहा था।
आयोग ने जो नोटिस जारी किया है उसमें कहा गया है कि ‘भ्रष्टाचार और विश्वासघात’ के चलते नौकरी से निकाले गए सरकारी कर्मचारियों को अगले पांच सालों तक चुनावी कैंपेन के लिए अयोग्य करार दिया जाएगा।
चुनाव आयोग का कहना है कि अगर तेज बहादुर यादव प्रमाण नहीं देते हैं तो उनका नामांकन खारिज कर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि नौ जनवरी, 2017 को हरियाणा के रेवाड़ी के तेज बहादुर यादव ने सेना में परोसे जा रहे भोजन को सार्वजनिक कर पूरे देश का माहौल सर्दियों में गरमा दिया था।
नामांकन भरने से रोकना चाहते हैं मोदी
चुनाव आयोग के नोटिस के लिए यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार बताया है। उन्होंने कहा कि पूरा देश और विपक्ष उन्हें समर्थन दे रहा है, इसलिए मोदी उन्हें नामांकन भरने से रोकना चाहते हैं।
पूर्व बीएसएफ जवान ने कहा कि 24 अप्रैल, और कल भी नामांकन भरते समय कोई समस्या नहीं आई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव निरीक्षक के दबाव में आकर रिटर्निंग अधिकारी ने उनके नामांकन में हस्तक्षेप किया है।
एक बेवसाइट से बातचीत में तेज बहादुर यादव ने कहा कि ‘क्या इससे यह साफ नहीं होता कि मुझे नामांकन भरने से रोका जा रहा है। मोदी डर गए हैं कि एक असली चौकीदार उन्हें हरा देगा।’ इसके साथ ही यादव ने साफ आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने मोदी के निर्देश पर उन्हें नोटिस भेजा है।