जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। एक लंबे अर्से के बाद भारतीय एफएमसीजी इंडस्ट्री में हालात सुधरने लगे हैं। एफएमसीजी सेक्टर पर लॉकडाउन का बहुत बुरा असर पड़ा था लेकिन जून महीने में इसमें रिकवरी देखने को मिली है। ये रिकवरी ग्रामीण मांग और किराना स्टोर के परंपरागत तरीके से सामान बेचने से आई है।
मार्केट रिसर्च कंपनी नील्सन के मुताबिक जून महीने में सेल्स कोरोना से पहले की स्थिति के काफी करीब आ गई। ये रिकवरी घर में खाना बनाने के ट्रेंड, पैकेजिंग वाले आटे, खाने के तेल, साबुन, फर्श साफ करने वाला लिक्विट, ब्यूटी प्रोडक्ट, डीओ आदि के जरिए आई।
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टूथपेस्ट, शैम्पू और सिर में लगाने के तेल की सेल्स में भी जून में तगड़ी रिकवरी हुई, जो लॉकडाउन के दौरान गिर गई थी। जून महीने में वॉशिंग पाउडर और कपड़े धोने के साबुन में भी शानदार रिकवरी देखने को मिली। इतना ही नहीं, लिक्विड सोप, च्यवनप्राश और हाईजीन और इम्युनिटी से जुड़े कुछ प्रोडक्ट्स में जून महीने में उम्मीद से भी अधिक ग्रोथ देखने को मिली।
च्यवनप्राश की सेल में दिसंबर, जनवरी, फरवरी तीनों महीनों में मिलाकर भी जितनी ग्रोथ नहीं हुई, उतनी अकेले जून में हो गई। जून में च्यवनप्राश की सेल 223 फीसदी बढ़ी है। वहीं लिक्विड सोप में 112 फीसदी और ब्रांडेड हनी में 39 फीसदी की ग्रोथ देखी गई।
जनवरी से मई तक भारत के एफएमसीजी सेक्टर में 8 फीसदी की निगेटिव ग्रोथ देखने को मिली। जबकि चीन में एफएमसीजी सेक्टर 5 फीसदी की दर से बढ़ा है। सर्वे ने दिखाया है कि लोग फालतू के खर्चों से बचते दिख रहे हैं। दूसरी ओर कोरोना की वजह से लोग स्वास्थ्य और फिटनेस का अधिक ध्यान दे रहे हैं।
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