न्यूज डेस्क
“बॉबी, आपके विभाग को बताया गया था… मैंने यहां आते हुए एक बस्ती का दौरा किया… चार सौ परिवार, दो शौचालय व गुसलखाने… क्यों…? हम झुग्गी-झोंपड़ी विकास के लिए पैसा देते हैं… पार्षद कौन है…? वह क्या कर रहे हैं…?”
यह सवाल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार का अपने शहरी विकास एवं निगम मामलों के मंत्री फिरहाद हकीम से किया। ममता बनर्जी का सोमवार को एक अलग ही रूप दिखा। उन्होंने वह काम किया, जो उन्होंने पिछले कई सालों में नहीं किया था। ममता हावड़ा में एक झुग्गी बस्ती में गईं, वहां झोंपडिय़ों में पहुंचीं और वहां रहने वालों से उनकी समस्याओं के बारे में बातचीत की।
ममता का यह रूप शायद राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की रणनीति का हिस्सा हो। शायद ‘दीदी के बोलो’ कार्यक्रम के तहत ममता की छवि बदलने की कोशिश का हिस्सा हो या उनके स्टाइल में सोच-समझकर लाया गया बदलाव हो। जो भी हो लेकिन यह पश्चिम बंगाल की जनता के लिए सकारात्मक है।
इन दिनों पश्चिम बंगाल में थोड़ा ठहराव है। लोकसभा चुनाव से पहले और बाद के करीब एक माह तक पश्चिम बंगाल सुलग रहा था। सियासी संग्राम इस कदर छिड़ा था कि सड़के लहू-लुहान हो गई थी।
सियासी गलियारे में ऐसी चर्चा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जब से राजनीति के चाणक्य प्रशांत किशोर की क्लास लेने लगी है उनमें बहुत बदलाव आया है। यह बदलाव उनकी इमेज को लेकर है, उनकी कार्यशैली को लेकर है। प्रशांत के कहने पर भी ‘दीदी के बोलो’ कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
19 अगस्त को हावड़ा के एक झुग्गी बस्ती में सीएम ममता बनर्जी का अंदाज लोगों को हैरान करने वाला था। झोपडिय़ों में लोगों से मिलना और उनकी समस्या को सुनना, सभी कुछ नया था। दीदी को सबसे ज्यादा गुस्सा जिस बात पर आया, वह था वॉर्ड 29 में नंबर 2 राउंड टैंक पुरानाबस्ती के रहने वाले लगभग 400 लोगों के लिए कुल दो शौचालयों की व्यवस्था।
दरअसन ममता अपनी प्रशासनिक बैठक के लिए जाते वक्त इस बस्ती में रुक गई थीं। जब वह बैठक में पहुंचीं, तो उन्होंने शहरी विकास एवं निगम मामलों के मंत्री फिरहाद हकीम की क्लास लगा दी। जब उन्होंने फिरहाद से सवाल किया तो कुछ पल खामोशी रही। फिर किसी ने मुख्यमंत्री को बताया कि स्थानीय तृणमूल पार्षद जून, 2017 से हत्या के आरोप में गिरफ्तार है।
यह सुनकर भी ममता बिल्कुल विचलित नहीं हुईं, और उन्होंने फिरहाद हकीम से कहा, “तो पार्षद किसी मामले में जेल में हैं…
लेकिन निगम तो है… उसका प्रशासक भी है… आप अपने वॉर्डों की निगरानी क्यों नहीं कर रहे हैं…? मैं आपसे कह रही हूं, सात दिन के भीतर आपको सभी झुग्गी बस्तियों का दौरा कर उनकी समस्याओं को दूर करना होगा…”
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हावड़ा नगर निगम इस वक्त एक प्रशासक के तहत काम कर रही है, क्योंकि पिछले साल दिसंबर में निर्धारित चुनाव अब तक नहीं हो पाए हैं।
दीदी ने अपने अंदाज में गरजते हुए कहा, “ज़्यादा शौचालय – कम से कम छह या आठ – बनाकर देने में क्या समस्या है…? 400 लोगों के लिए दो शौचालय… क्या आप कल्पना कर सकते हैं, क्या होता, अगर यह हालत आपके घर में होती…? अगर प्रावधान है, तो हम उपलब्ध क्यों नहीं करवा सकते…? नागरिक इकाई प्रशासक के तहत काम कर रही है… आप अपना काम तुरंत शुरू कीजिए…“
इसके बाद ममता बनर्जी कोलकाता से लगभग 200 किलोमीटर दूर पूर्वी मिदनापुर जिले में समुद्र किनारे बसे लोकप्रिय पर्यटक कस्बे दिघा पहुंचीं। यहां भी उन्होंने रूटीन से हटकर खुले में बैठना पसंद किया, और उनके साथ पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता थे, और उन्होंने मछुआरों से बात की, उनकी समस्याएं पूछीं, और उनके बच्चों की पढ़ाई के बारे में भी बात की।
ममता बनर्जी ने ऐसा प्रशांत किशोर के कहने पर किया है या अपनी मर्जी से, लेकिन यह तो स्पष्ट है कि दीदी खुद को बदल रही हैं। वह सिर्फ नाम की नहीं बल्कि सच में जनता की दीदी बनने की कोशिश कर रही हैं। हर वक्त गुस्से में रहने वाली दीदी अब पहले से ज्यादा नर्मदिल, ज्यादा चिंता करने वाली तथा अधिक मानवीय ममता बन रही हैं।
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