न्यूज डेस्क
असम पिछले काफी दिनों से चर्चा में है। दरअसल असम नहीं एनआरसी चर्चा में है। चर्चा में इसलिए है क्योंकि देश सम्मानित लोगों को विदेशी घोषित किया गया है, जिसका लोगों ने विरोध किया। लोग बेवजह परेशान हो रहे हैं।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने लोकसभा में 16 जुलाई को बताया कि असम में गठित विदेशी न्यायाधिकरणों ने इस साल मार्च तक कुल 1.17 लाख लोगों को विदेशी घोषित किया।
मंत्री ने कहा कि 100 विदेशी (नागरिक) न्यायाधिकरण असम के विभिन्न जिलों में चल रहे हैं।
एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री रेड्डी ने कहा, ’31 मार्च 2019 तक कुल 1,17,164 लोगों को न्यायाधिकरणों ने विदेशी घोषित किया।’
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के 17 दिसंबर 2014 के एक आदेश के मुताबिक गुवाहाटी उच्च न्यायालय की एक विशेष पीठ इन न्यायाधिकरणों के कामकाज की नियमित रूप से निगरानी कर रही है।
रेड्डी ने कहा कि इन न्यायाधिकरणों के विचार से संतुष्ट नहीं होने वाला कोई भी व्यक्तिउच्च न्यायालय का रुख कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में अपडेट हो रही एनआरसी की अंतिम सूची 31 जुलाई को जारी होनी है। हाल के दिनों में केंद्र सरकार ने भी न्यायाधिकरणों की संख्या बढ़ाकर 1000 तक करने की बात की।
बनी हुई है विवाद की स्थिति
गौरतलब है कि विदेशी न्यायाधिकरणों के कई फैसलों की वजह से असम में विवाद की स्थिति बनी हुई है। बीते मई महीने में कारगिल युद्ध में शामिल रहे सेना के पूर्व अधिकारी मोहम्मद सनाउल्लाह को विदेशी घोषित कर उन्हें नजरबंदी शिविर भेज दिया गया था।
मोहम्मद सनाउल्लाह राष्ट्रपति पदक से सम्मानित है। इस समय असम सीमा पुलिस में सहायक उप-निरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं।
उनका नाम नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिंजन्स (एनआरसी) में नहीं है।
विदेशी न्यायाधिकरण ने 23 मई को जारी आदेश में कहा था कि सनाउल्लाह 25 मार्च, 1971 की तारीख से पहले भारत से अपने जुड़ाव का सबूत देने में असफल रहे हैं। वह इस बात का भी सबूत देने में असफल रहे कि वह जन्म से भारतीय नागरिक हैं।
इसी तरह एक बुजुर्ग महिला को भी विदेशी घोषित कर नजरबंदी शिविर में भेज दिया गया था, उन्हें तीन साल हिरासत में रखने के बाद रिहा किया गया। इस बुजुर्ग महिला के मामले में पुलिस ने स्वीकार किया कि वह गलत पहचान की शिकार हुईं। दरअसल मधुमाला दास की जगह 59 वर्षीय मधुबाला मंडल को हिरासत शिविर में भेज दिया गया था।
इसी सप्ताह असम के भाजपा नेता पवन कुमार राठी को नागरिकता संशोधन विधेयक और एनआरसी को लेकर उठ रहे सवालों के बीच ‘विदेशी नागरिक’ घोषित कर दिया गया है।
56 साल के पवन को अपडेट किए जा रहे राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मसौदे में नाम न होने के बाद ‘विदेशी’ घोषित किया गया है।