- सोनिया गांधी के ऑर्डर को तीन दिन लटकाए रखे थे केसी वेणुगोपाल
जुबिली न्यूज डेस्क
कांग्रेस में मची अंतर्कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। हर दिन कोई न कोई खुलासा हो रहा है। कांग्रेस मे नेतृत्व परिवर्तन की मांग के लेकर 23 नेताओं की तरफ से लिखे गए पत्र के बाद से इस पर मंथन हो रहा है कि आखिर ये पत्र गांधी परिवार के लिए था या किसी और के लिए।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 23 नेताओं की तरफ से लिखे गए पत्र का असली निशाना राहुल गांधी के ‘दरबारी’ थे। इंडियन एक्सप्रेस के कॉलम इनसाइड ट्रैक के मुताबिक इस पत्र का निशाना गांधी परिवार नहीं होकर राहुल के वे खास लोग हैं जिन्हें तुगलक लेन क्लब के नाम से जाना जाता है।
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जानकारों के मुताबिक पार्टी से जुड़े हर महत्वपूर्ण मुद्दे को सोनिया अपने बेटे राहुल के पास भेजती हैं, लेकिन राहुल खुद इन मामलों को हैंडल नहीं करते हैं बल्कि उनके कुछ करीबी नेता इन मामलों को देखते हैं। राहुल का विश्वासपात्र होने की वजह से ये बहुत ताकतवर हो गए हैं।
राहुल का यह खास वर्ग कितना ताकतवर है कि इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इन लाोगों ने सोनिया गांधी के एक आदेश को तीन दिन तक लटकाए रखा। सोनिया गांधी ने हाल ही में मध्य प्रदेश उपचुनाव के लिए पार्टी पर्यवेक्षकों के नामों के मंजूरी दी थी। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने तीन दिन तक इन नामों को अपनी तरफ से क्लियर नहीं किया।
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दरअसल राहुल गांधी सामान्य रूप से बाहर से आने वाले लोगों से मिलने से कतराते हैं, वहीं केसी वेणुगोपाल गेटकीपर की भूमिका में होते हैं। राहुल गांधी के करीबी माने जाने केसी वेणुगोपाल और राजीव सातव दोनों ने साल 2019 में लोकसभा चुनाव लडऩे से इनकार कर दिया था। हालांकि पार्टी की तरफ से इन्हें चुनाव लड़ने के निर्देश थे।
ये लोग चुनाव नहीं लड़े फिर भी इन लोगों को राज्यसभा सांसद के रूप में पुरस्कृत किया गया। अजय माकन, जो लगातार दो लोकसभा चुनाव हार कर अपनी साख गंवा चुके थे और राजनीतिक गुमनामी में रह रहे थे, को राहुल के खास लोगों के साथ का फायदा मिला। अजय माकन को अचानक राजस्थान का प्रभारी नियुक्त किया गया है। जानकारों का मानना है कि अजय माकन को राजस्थान के बारे में कोई खास जानकारी नहीं हैं।