जुबिली स्पेशल डेस्क
फटाफट क्रिकेट के खेल में आईपीएल सबसे ज्यादा चर्चा में रहता है। आलम तो यह है कि आईपीएल को कराने के लिए बीसीसीआई कोरोना काल से भी नहीं डरी। आखिरकार बीसीसीआई ने आईपीएल को कोरोना की वजह से यूएई कराने का फैसला लिया। हालांकि कोरोना को देखते हुए आईपीएल में दर्शकों की एंट्री पर बैन है लेकिन इसके बावजूद आईपीएक का क्रेज कम होने का नाम नहीं ले रहा है।
आईपीएल में अब तक चार मुकाबले खेले गए है लेकिन अम्पायरिंग एक बार फिर सवालों के घेरे में है। दरअसल दो मुकाबलों में अम्पायरिंग को लेकर सवाल उठ सकते हैं। रविवार को दिल्ली कैपिटल्स की टक्कर किंग्स इलेवन पंजाब के बीच थी। दोनों टीमों के बीच यह मुकाबला बेहद उतार-चढ़ाव भरा है। हालांकि दिल्ली ने सुपर ओवर में बाजी मार ली थी लेकिन अगर अम्पायरिंग सही होती तो यह मुकाबला सुपर ओवर तक नहीं जा पाता।
अंपायर की इस गलती की वजह से मैच पहुंचा सुपर ओवर में
विवाद को खेले गए मैच के 18.3वें ओवर में मयंक अग्रवाल और क्रिस जॉर्डन दो रन दौड़े, लेकिन अंपायर नितिन ने शॉर्ट रन करार देते हुए एक रन काट लिया। हालांकि, टीवी रिप्ले में दिखा की जॉर्डन का बल्ला पूरी तरह से क्रीज के पार था। यह मैच 20वें ओवर में बराबरी पर यानी टाई पर खत्म हुआ और फिर मैच का फैसला सुपर ओवर से हुआ और दिल्ली ने पंजाब पर जीत दर्ज कर ली।
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इसी तरह कल खेले गए मैच में चेन्नई की टक्कर राजस्थान से थी लेकिन इस मुकाबले में अंपायर के फैसला बदलने पर धोनी काफी निराश हो गए थे। राजस्थान की पारी के 18वें ओवर में टॉम करन को आउट दिए जाने के बावजूद रीव्यू लेने के अंपायरों के फैसले से धोनी खुश नहीं दिखे। दीपक चाहर की गेंद पर विकेटकीपर धोनी द्वारा गेंद पकड़े जाने के बाद मैदानी अंपायर सी शम्सुददीन ने आउट दे दिया।
राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ एक बार फिर से अंपायर पर भड़के धोनी
राजस्थान के पास रिव्यू नहीं बचा था और बल्लेबाज पविलियन लौटने लगा। इसके बाद हालांकि लेग अंपायर विनीत कुलकर्णी से बात करने के बाद शम्सुददीन को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने तीसरे अंपायर से मदद मांगी। इसके बाद धोनी निराशा में अंपायर से बात करते देखे गए। टेलीविजन रीप्ले में दिखा की गेंद धोनी के दस्तानों में जाने से पहले टप्पा खा चुकी थी । तीसरे अंपायर ने मैदानी अंपायर का फैसला बदल दिया जिससे धोनी नाखुश दिखे।
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इस पूरे मामले में पूर्व जूनियर इंडिया व रणजी क्रिकेटर प्रदीप शुक्ला कहते हैं कि गलतियां सभी से होती हैं। खिलाडिय़ों की तरह अंपायर भी इंसान हैं। हालांकि, यह सिर्फ एक गेंद की बात है, मैच में 240 गेंद होती हैं।
अंपायर अपनी ओर से सर्वश्रेष्ठ देते हैं लेकिन टेक्रोलाजी के इस दौर में आपकी गलती पकड़ ली जाती है। उन्होंने बताया कि इस घटना से पहले तक नितिन की ख्याति बेदाग अंपायर की रही है। इस वजह से उन्हें आइसीसी के शीर्ष एलीट पैनल में जगह दी गई है।
प्रदीप ने कहा कि 36 साल की उम्र में यह उपलब्धि हासिल करने वाले वे विश्व के सबसे युवा अंपायर भी हैं। प्रदीप शुक्ला ने कहा कि इंसान से भूल हो सकती हैं लेकिन ये मतलब नहीं है अम्पायरिंग का स्तर खराब हो गया है। उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से खेलों की दुनिया बंद पड़ी थी और अब जब दोबारा शुरू हुई तो खिलाडिय़ों के साथ-साथ अम्पायरों पर अच्छा-खासा दबाव हो सकता है।
उन्होंने बताया कि कोरोना के चलते कई तरह की पाबंदिया है। इतना ही नहीं खिलाडिय़ों को अभ्यास करने की अनुमति मिल चुकी है लेकिन अंपायर सिर्फ मैच के लिए ही होटल से निकलकर मैदान पर जा सकते हैं। ऐसी स्थिति में अंपायरों पर अच्छा खासा दबाव हो सकता है।