जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. कोरोना की दो लहरों से दहले हुए लोगों के सामने इसका नया वेरिएंट ओमिक्रान अब अटैकिंग मुद्रा में आ चुका है. ओमिक्रान से डरना इसलिए ज्यादा ज़रूरी है क्योंकि कोविड पॉजिटिव क्लीनिकल सैम्पल्स की जीनोम सिक्वेंसिंग पर रिसर्च कर रहे जैव प्रौद्योगिक विभाग के वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि ओमिक्रान अकेले हमला बोलने नहीं आया है. इसके साथ इसका पूरा परिवार है.
वैज्ञानिकों ने महाराष्ट्र में तेज़ी से पाँव पसार रहे डेल्टा वेरिएंट को ओमिक्रान का भाई बताया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना के कई वेरिएंट अपने पूरे प्रभाव के साथ हमलावर हैं. इनमें बीए-1, बीए-2 और बीए-3 मैदान में हैं. इनमें बीए-1 सबसे ज्यादा ताकतवर है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक ओमिक्रान काफी संक्रामक है. कोरोना के जो मामले भारत में बढ़ रहे हैं उनके लिए मुख्य रूप से ओमिक्रान ही ज़िम्मेदार है. सबसे बड़ी दिक्कत की जो बात वैज्ञानिकों ने बताई है कि ओमिक्रान के कुछ वेरिएंट आरटीपीसीआर जांच में पता ही नहीं चल पाते हैं. जांच में पता नहीं चलने की वजह से समय से इलाज नहीं शुरू हो पाता.
यह वैज्ञानिक कोविड-19 के स्ट्रेन और जीनोम सिक्वेंसिंग की निगरानी और स्टडी कर रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गठित वैज्ञानिकों का यह समूह 25 दिसम्बर 2020 से अपने काम में जुटा हुआ है. इन वैज्ञानिकों से देश के विभिन्न भागों में 28 प्रयोगशालाएं जुड़ी हैं जो लगातार जाँच कर कोरोना की स्थिति और उनके बदलते रूप पर चर्चा कर रही हैं.
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