जुबिली न्यूज डेस्क
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को पिछले महीने एक दिन का पैरोल मिला था और यह भाजपा के शीर्ष नेताओं के निर्देश के बाद खट्टर सरकार ने गुपचुप तरीके से दिया था। यह दावा एक अंग्रेजी अखबार ने किया है।
दो साध्वियों से दुष्कर्म और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या मामले में गुरमीत राम रहीम रोहतक की सुनारियां जेल में बंद है। अंग्रेजी अखबार ‘द टाइम्स ऑफ इंडियन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक राम रहीम को परोल बीजेपी के शीर्ष नेताओं के निर्देश के बाद दी गई थी। यह परोल 24 अक्टूबर को दी गई थी।
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक इस बारे में सिर्फ मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और हरियाणा सरकार के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को ही जानकारी थी। यहां तक कि गुरमीत राम रहीम को ले जाने वाले जवानों को भी नहीं पता था कि वे किसे लेकर जा रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि राम रहीम को अपनी बीमार मां से मिलने के लिए एक दिन का परोल मिला था। वह गुरुग्राम के एक अस्पताल में भर्ती है।
डेरा प्रमुख को सुनारिया जेल से गुरुग्राम अस्पताल तक भारी सुरक्षा के बीच ले जाया गया। वह 24 अक्टूबर को गुरुग्राम के अस्पताल में अपनी बीमार मां के साथ शाम तक रहे थे।
टीओआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इसके लिए हरियाणा पुलिस की तीन टुकड़ी तैनात थी। एक टुकड़ी में 80 से 100 जवान थे। राम रहीम को जेल से पुलिस की बंद गाड़ी में लाया गया। गाड़ी में पर्दे लगे हुए थे और इसमें कौन जा रहा है इसके बारे में किसी को खबर नहीं थी।
पुलिस ने गुरुग्राम में अस्पताल के बेसमेंट में गाड़ी पार्क की थी। किसी को इसकी भनक न लगे इसके लिए जिस फ्लोर में उसकी मां का इलाज चल रहा था, उसे पूरा खाली करा दिया था।
रोहतक एसपी राहुल शर्मा ने बताया कि “हमे जेल सुपरिंटेंडेंट से राम रहीम के गुरुग्राम दौरे के लिए सुरक्षा व्यवस्था का निवेदन मिला था। हमने 24 अक्टूबर को सुबह से लेकर शाम ढलने तक सुरक्षा उपलब्ध कराई थी। सब कुछ शांति से हुआ।”
इससे पहले राम रहीम दो बार पैरोल की अर्जी दे चुके हैं और बाद में वापस भी ले चुके हैं। 2018 के आखिरी में बाबा ने डेरा सच्चा सौदा में अपनी एक गोद ली बेटी की शादी में शामिल होने के लिए पैरोल की अर्जी दी थी, लेकिन बाद में वापस ले ली थी।
वहीं पिछले साल जून महीने में भी बाबा ने 42 दिन की पैरोल मांगी थी, जिसके बाद काफी विवाद हुआ था और उन्होने पैरोल संबंधी अर्जी को वापस ले लिया था।