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इस्लामाबाद। पाकिस्तान अपनी तमाम कोशिशों के बावजूद फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की ग्रे लिस्ट से निकलने में कामयाब नहीं हो सका है। इसके बाद अब FATF ने पाकिस्तान पर आतंक वित्तपोषण व धनशोधन पर लगाम लगाने की कवायद के तहत कुछ नई शर्तें लगा दी हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, FATF की नई शर्तों में पाकिस्तान से कहा गया है कि विदेश यात्रा करने वाले पाकिस्तानियों का डाटा बैंक बनाया जाए, जिसमें इसे खास रूप से दर्ज किया जाए कि विदेश यात्रा करने वाला अपने साथ कितनी करेंसी और कौन से कीमती सामान लेकर गया था।
FATF ने कहा है कि ऐसे व्यक्ति के टिकट और विदेश में इसके द्वारा खर्च किए गए धन का विवरण भी देना होगा। यह भी बताना होगा कि विदेश में जो धन खर्च किया गया, वह कहां से अर्जित किया गया था। संबंधित व्यक्ति के पारिवारिक कारोबार का ब्योरा भी देना होगा।
अखबार की रिपोर्ट में बताया गया है कि इन शर्तों पर अमल के लिए तस्करी रोधी अधिनियम में बदलाव अगले हफ्ते होने की संभावना है। गौरतलब है कि FATF की बीते महीने पेरिस में हुई बैठक में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बनाए रखने का फैसला किया गया था।
पाकिस्तान को सिर्फ चार महीने की मोहलत देते हुए चेतावनी दी गई कि अगर जून 2020 तक उसने आतंक वित्तपोषण व धनशोधन रोकने के लिए एफएटीएफ द्वारा दी गई कार्ययोजना पर पूरी तरह से अमल नहीं किया, तो फिर उसे ग्रे लिस्ट से निकालकर ब्लैक लिस्ट में डाला जा सकता है जिसके नतीजे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए घातक होंगे।
FATF की हालिया बैठक में तुर्की को छोड़कर सभी 39 सदस्यों ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए जून तक बचे हुए 13 एक्शन प्लान पर काम करने को कहा है। इसमे आतंकी संगठनों के प्रमुखों की गिरफ्तारी भी शामिल है।
पेरिस में राजनायिक और एफएटीएफ के सदस्यों ने इस बात पर ध्यान देने को कहा है कि किस तरह पाकिस्तान एफएटीएफ की तकनीकी प्रक्रिया का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रहा है।
ये बात तुर्की के राष्ट्रपति तयिप इरडोगन और मलेशिया के प्रधानमंत्री महाथिर बिन मोहम्मद के बयान से साबित हो गई है। दरअसल एफएटीएफ के एक दिन पहले इरडोगन ने साफ कर दिया था कि तुर्की ब्लैक लिस्ट से निकलने में पाकिस्तान की मदद करेगा। वहीं महातिर ने पाकिस्तान की आतंक से लड़ने को लेकर तारीफ की थी।