न्यूज डेस्क
लोकसभा चुनाव 2019 में जितना आचार संहिता का धड़ल्ले से उल्लंघन हुआ है उतना शायद ही किसी चुनाव में हुआ होगा। यह पहला चुनाव था जिसमें नेता अंडरवियर के कलर तक पहुंच गए। नेताओं ने महिला नेताओं के खिलाफ जमकर अभद्र टिप्पणी की।
फिलहाल चुनाव आयोग ने इस पर चिंता जताते हुए दिशा-निर्देश जारी कर राजनीतिक दलों पर महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने से बचने के लिए कहा है।
लोकसभा चुनाव में जिस तरह नेता महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी कर रहे हैं वह चिंता का विषय है। इस पर गौर करते हुए चुनाव आयोग ने दिशा निर्देश में राजनीतिक दलों से कहा है कि वे अपने नेताओं को महिलाओं के खिलाफ अभद्र टिप्पणी न करने की सलाह दें।
चुनाव आयोग का यह दिशा निर्देश समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान द्वारा रामपुर में भाजपा उम्मीदवार जया प्रदा पर की गई टिप्पणी के बाद आया है।
इससे पहले इस मामले में कार्रवाई करते हुए चुनाव आयोग ने आजम खान के चुनाव प्रचार करने पर तीन दिन की रोक लगा दी थी।
आयोग का नेताओं को नहीं है डर
चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव की तारीखें घोषित करने के साथ ही चुनावी आचार संहिता भी लग गई है। जिस तरह से आचार संहिता का उल्लंघन हो रहा है उससे सवाल उठता है कि आखिर नेताओं में चुनाव आयोग का डर क्यों नहीं है।
आयोग द्वारा आजम खां के खिलाफ की गई कार्रवाई के बाद उनके बेटे ने जया प्रदा पर अभद्र टिप्पणी की थी। वहीं 22 अप्रैल भाजपा नेता महादेव सरकार ने पश्चिम बंगाल की विधायक और टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा के खिलाफ आपत्तिजनक और लैंगिक टिप्पणी की। इसके बाद सरकार के भी चुनाव प्रचार करने पर दो दिन का प्रतिबंध लगा दिया गया।
दरअसल चुनाव आयोग के ढुलमुल रवैये की वजह से नेताओं के हौसले बुलंद है। नेताओं पर समय से आयोग द्वारा कठोर कार्रवाई न होने की वजह से ऐसा है।
महिला आयोग भी जता चुकी है चिंता
चुनाओं में महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी पर महिला आयोग भी चिंता जता चुकी है। हाल ही में दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल ने चुनाव प्रचार के दौरान महिलाओं के खिलाफ की जाने वाली अपमानजनक टिप्पणियों को लेकर एक पत्र लिखा था।
उन्होंने पत्र में आयोग ने मांग की थी कि वह चुनाव आचार संहिता में तत्काल एक ऐसा प्रावधान बनाए जो यह सुनिश्चित करे कि कोई भी दल या व्यक्ति लिंग के आधार पर ऐसी टिप्पणी करके न बच पाए ,जो कि महिलाओं के सम्मान को नुकसान पहुंचाती हो।