Wednesday - 30 October 2024 - 2:21 AM

तो क्या चीन के भरोसे है यूपी की बिजली?

जुबिली न्यूज डेस्क

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आत्मनिर्भर भारत बनने का आह्वान कर चुके हैं, लेकिन ऐसा संभव होता नहीं दिख रहा है, खासकर उत्तर प्रदेश में। उत्तर प्रदेश में बिजली परियोजनाएं चीन के भरोसे हैं। प्रदेश को जिन निजी बिजलीघरों से बिजली मिल रही है उनमें भी चीन के  उपकरण लगाए गए हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले महीने जब आत्मनिर्भर भारत का आह्वान किया तो कुछ ही दिनों बाद से सोशल मीडिया से लेकर सड़कों पर चीन के सामान का बहिष्कार करने की अपील की जा रही है। इस बीच चीन से तनाव बढऩे पर सरकार ने बीएसएनएल को आदेश दिया कि चीनी सामान का उपयोग न करें। इसके बाद यूपी में चायनीज बिजली मीटर हटाने की बात की गई, लेकिन सवाल उठता है कि क्या चीनी सामान का बहिष्कार सरकार के लिए संभव है खासकर बिजली विभाग में।

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केंद्र के निर्देशानुसार प्रदेश के पुराने बिजलीघरों में स्थापित कराए जाने वाले प्रदूषण नियंत्रण संयंत्रों के ठेकों में भी चीनी कंपनियों का दबदबा है। स्मार्ट मीटर समेत चीन से आने वाले अन्य छोटे उपकरणों के इस्तेमाल पर रोक के बावजूद प्रदेश में बिजली के मामले में फिलहाल चीन पर निर्भरता बनी ही रहेगी।

उत्तर प्रदेश में इस समय 3960 मेगावाट क्षमता की नई परियोजनाओं पर काम चल रहा है। पनकी में 660 मेगावाट की इकाई का जिम्मा भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लि. (बीएचईएल) को सौंपा गया है। 1320-1320 मेगावाट की जवाहरपुर व ओबरा ‘सी’  परियोजना कोरिया की कंपनी दुसान व हरदुआगंज में 660 मेगावाट इकाई का काम जापानी कं पनी तोशीबा को मिला है। जवाहरपुर व ओबरा ‘सी’  परियोजना की लागत लगभग 10,500-10,500 करोड़ है जबकि हरदुआगंज की इकाई पर 5600 करोड़ खर्च आने का अनुमान है।

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जानकारों का कहना है कि जवाहरपुर, ओबरा ‘सी’  व हरदुआगंज की इकाइयों में चीन से मंगाए गए उपकरण लगाए जा रहे हैं। इससे भविष्य में भी इनकी चीन पर निर्भरता बनी रहेगी। इकाइयों में लगाए जाने वाले इंडक्टेड ड्राफ्ट फैन, फोर्सड् ड्राफ्ट फैन, प्राइमरी एयर फैन व बॉयलर टूयूब जैसे बड़े उपकरण चीन निर्मित हैं। वहीं, बीएचईएल पनकी की इकाई में खुद के बनाए गए स्वदेसी उपकरणों का इस्तेमाल कर रहा है।

इसके अलावा आने वाले समय में प्रदेश में नई ही नहीं बल्कि 2000 मेगावाट से ज्यादा क्षमता की पुरानी इकाइयों का भी दारोमदार भी चीन पर हो सकता है। इसका कारण है पर्यावरण के नए मापदंड। इसके अनुसार 25 साल से अधिक पुराने ताप बिजली घरों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन प्रणाली (एफ जीडीएस) लगाना अनिवार्य कर दिया गया है।

चीन पर निर्भरता किस कदर है इसे ऐसे ही समझ सकते हैं। इस साल केंद्रीय वित्त मंत्री ने बजट में ऐलान किया था कि प्रदेश के अनपरा ए  बिजली घर की 210-210 मेगावाट क्षमता की तीन, अनपरा बी की 500-500 मेगावाट की दो, ओबरा की 200-200 मेगावाट की पांच इकाइयां, पारीछा की 110-110 मेगावाट की दो, 210 मेगावाट की दो व 250 मेगावाट की दो, तथा हरदुआगंज की 110 मेगावाट की एक व 250 मेगावाट की दो इकाई में एफजीडीएस की स्थापना के लिए 300 करोड़ रुपये के टेंडर हुए हैं। चूंकि इसका ग्लोबल टेंडर हुआ था इसलिए इसमें भी चीन की कंपनियां एल-1 आई हैं। यानी एफजीडीएस लगाने में भी चीनी कंपनियों का दबदबा बना हुआ है।

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इस मामले में यूपी के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा कहते हैं-हमने तय किया कि भविष्य में चीनी उपकरणों का इस्तेमाल नहीं करेंगे। प्रयास किया जाएगा कि जो भी उपकरण लगाए जाएं वे पूर्ण रूप से भारतीय हों या चीन निर्मित या आयातित न हों।

वहीं ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे कहते हैं कि चीन से टकराव के चलते आत्मनिर्भर भारत की बात कही जा रही है। इसके लिए पावर सेक्टर में बीएचईएल को सशक्त बनाना जरूरी होगा। बीएचईएल सार्वजनिक क्षेत्र की नवरत्न कंपनी है इसलिए इसे पावर सेक्टर के काम बिना टेंडर के दिए जा सकते हैं।

वह कहते हैं कि चीन को ग्लोबल टेंडर का फायदा मिलता है। इससे टेंडर में लगने वाला समय भी बचेगा और आत्मनिर्भर भारत का सपना भी साकार होगा।

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