न्यूज डेस्क
सियासी गलियारों में चर्चा है कि चंद्रबाबू नायडू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच जमी वर्फ पिघल रही है। दरअसल यह कयास मोदी सरकार के पिछले कुछ फैसलों पर नायडू के समर्थन देने की वजह से कहा जा रहा है।
लोकसभा चुनाव में नायडू और मोदी के बीच दूरी बहुत बढ़ गई थी। चुनावों के दौरान मोदी और शाह ने आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू को यू-टर्न बाबू करार दिया था। फिलहाल अब चंद्रबाबू नायडू ने एक बार फिर यू-टर्न लेते हुए मोदी के फैसले के साथ खड़े हो गए हैं।
बीजेपी का लगातार विरोध करने वाले चंद्रबाबू नायडू ने अब तीन तलाक के बाद आर्टिकल 370 के मुद्दे पर भी केंद्र सरकार का समर्थन किया है। लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी को हराने के लिए पूरे विपक्ष को एकजुट करने में जुटे रहे नायडू चुनावों के बाद से अब तक एक बार भी राहुल गांधी से नहीं मिले हैं। उधर, टीडीपी सूत्रों के मुताबिक संसद में 370 के मुद्दे पर नायडू का मौन समर्थन यह संकेत दे रहा है कि वह एक बार फिर एनडीए के करीब आ रहे हैं।
नायडू ने आंध्र के लिए की थी विशेष राज्य के दर्जे की मांग
गौरतलब है कि विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर ही चंद्रबाबू नायडू चुनावों से पहले एनडीए से अलग हो गए थे। हालांकि 370 के मुद्दे और तीन तलाक पर अब वह एनडीए के साथ खड़े दिख रहे हैं। हालांकि कुछ लोग नायडू के इस समर्थन की आलोचना इस बात पर कर रहे हैं कि इसी मांग को लेकर वह खुद एनडीए का विरोध करते रहे हैं और अब जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा छिनने पर समर्थन में कैसे हैं।
नॉन बीजेपी फ्रंट तैयार करने में जुटे थे नायडू
गौरतलब है कि लोकसभा चुनावों के दौरान नायडू और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला के साथ नॉन बीजेपी फ्रंट तैयार करने में जुटे थे। फारूक ने नायडू के लिए प्रचार भी किया था।
मालूम हो कि 1982 में टीडीपी बनने के समय से ही अब्दुल्ला की पार्टी उनके साथ गठबंधन में रही है। तब टीडीपी संस्थापक रामा राव ने अनुच्छेद 370 पर चुप्पी बनाए रखी थी ताकि अब्दुल्ला को चोट भी ना पहुंचे और बीजेपी बाहर से मोर्चे का समर्थन करती रहे।