जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। महंगी बिजली की मार झेल रहे यूपी के बिजली उपभोक्ताओं के लिए बुरी खबर है। बढ़ती बिजली की मांग के बीच आधा दर्जन से अधिक इकाइयां बंद हो जाने से प्रदेश में बिजली किल्लत बढ़ने लगी है। निजी बिजलीघरों और एनर्जी एक्सचेंज से बेहद महंगी बिजली खरीदने के बाद भी पीक आवर्स में 500 मेगावाट तक की अघोषित कटौती कर हालात सम्भालने पड़ रहे हैं।
यूपी स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर ने हालात में सुधार की सम्भावना जतायी है। बीते 24 घंटों के दौरान बिजली की मांग में एक बार फिर भारी इजाफा दर्ज किया गया। बिजली की डिमाण्ड रात में बढ़कर 22449 मेगावाट के पार पहुंच गयी।
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इस दौरान सूबे की उत्पादन निगम, एनटीपीसी और निजी बिजलीघरों की 3140 मेगावाट क्षमता की कुल आठ इकाइयां तकनीकी कारणों से बंद होने के कारण सिस्टम कंट्रोल की मुश्किलों में भारी इजाफा हो गया और 480 मेगावाट की अघोषित कटौती करने के निर्देश देने पड़े।
सबसे पहले बात करते है उत्पादन निगम के अनपरा बिजलीघर की 210 मेगावाट की तीसरी इकाई की जो बीते 12 अगस्त से मिनी ओवर हालिंग के लिये और इतनी ही क्षमता की दूसरी इकाई तीन सितम्बर से ब्वायलर ट्यूब लिकेज से बंद करनी पड़ी।
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निजी क्षेत्र के प्रयागराज बारा बिजलीघर की 660 मेगावाट की दूसरी इकाई भी शनिवार को ब्वालर ट्यूब लिकेज के कारण बंद हो गयी । एलपीजीसीएल ललितपुर की 660 मेगावाट की तीसरी इकाई तीन सितम्बर को ब्वायलर ट्यूब लिकेज के कारण बंद हो गयी थी।
सिस्टम कंट्रोल के मुताबिक मुश्किल इससे भी बढ़ गयी कि एनटीपीसी के सिंगरौली बिजलीघर की 900 मेगावाट क्षमता की दूसरी, पांचवीं और सातवीं इकाइयां सप्ताह भर के भीतर मिनी ओवरहालिंग और ब्वायलर ट्यूब लिकेज के कारण बंद हो गयी। इस बीच ऊंचाहार बिजलीघर की भी जिससे सूबें को लगभग 38 प्रतिशत बिजली हासिल होती है, कि पांच सौ मेगावाट की छठवीं इकाई से जीटी की समस्या के कारण उत्पादन बंद हो गया है जिसने मुश्किले बढ़ा दी है।
यूपीएसएलडीसी के मुताबिक रिहन्द और ओबरा जलविद्युतगृहों की आधा दर्जन इकाइयां लगातार चलवायी जा रही हैं और एसटीओए/ पीएक्स से लगभग तीन हजार मेगावाट बिजली खरीद कर हालात सम्भाले जा रह हैं। कई इकाइयों से उत्पादन पुन:प्रारम्भ होने की उम्मीद भी उन्होंने जतायी है।
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