जुबिली न्यूज डेस्क
पिछले लोकसभा चुनावों से राजनीतिक कारणों से चर्चा में आया पश्चिम बंगाल राजनीतिक का प्रमुख केंद्र बन गया है। गाहे-बगाहे किसी न किसी वजह से चर्चा में आ ही जाता है।
लोकसभा चुनावों से मोदी-शाह की जोड़ी को ममता बनर्जी से लगातार चुनौती मिल रही है। अब तो यहां तक कहा जाने लगा है कि पूरे देश में मोदी-शाह को कोई चुनौती दे सकता है तो वह हैं ममता बनर्जी।
अप्रैल महीने में वैसे तो पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुआ था लेकिन चर्चा में सिर्फ पश्चिम बंगाल था। मोदी-शाह की जोड़ी ने बंगाल विजय के लिए सारे हथकंडे अपनाए लेकिन ममता के सामने वो टिक न सके। ममता के आगे मोदी-शाह की सारी रणनीति धरी की धरी रह गई।
चुनाव परिणाम आए एक माह से अधिक हो गया है लेकिन बंगाल में अब भी घमासान छिड़ा हुआ है। केंद्र सरकार और ममता के बीच नोकझोक के बीच एक अलग ही खिचड़ी पक रही है।
यह भी पढ़ें : ब्रिटेन में फिर तेजी से बढ़ रहे हैं कोरोना के मामले
यह भी पढ़ें : कोरोना की अगली लहर के लिए क्या है चेतावनी
यह भी पढ़ें : एक बार फिर चीन ने कहा-वुहान लैब में अब तक कोई संक्रमित नहीं
पिछले कुछ दिनों में कई नेता जो टीएमसी छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे वह अपनी घर वापसी चाह रहे हैं। कई नेता सार्वजनिक मंच से कह चुके हैं कि दीदी को छोड़कर उन्होंने गलती की।
घर वापसी की चाह में कई नेता लगे हुए हैं लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा में भाजपा नेता मुकुल रॉय और उनके बेटे शुभ्रांशु रॉय हैं।
पिछले साल केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पश्चिम बंगाल में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहे थे कि चुनाव तक ममता बनर्जी अकेली हो जाएंगी। उनकी पार्टी में कोई नहीं बचेगा। और ऐसा हुआ भी। थोक के भाव टीएमसी के नेता और कार्यकर्ता भाजपा में शामिल है। चुनाव के आखिरी समय तक टीएमसी नेताओं का भाजपा में शामिल होना लगा रहा।
लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं। पूर्व टीएमसी नेताओं की घर वापसी की खबरों से भाजपा खेमे की चिंता बढ़ गई है। सबसे ज्यादा चिंता तो भाजपा की तब बढ़ गई जब टीएमसी छोड़ भाजपा में आए मुकुल रॉय के बेटे भाजपा नेता शुभ्रांशु रॉय ने ममता बनर्जी का शुक्रिया अदा किया और कहा कि राजनीति में कुछ भी संभव है।
तो क्या बंगाल में अभी पिक्चर बाकी है? तो क्या भाजपा नेता शुभ्रांशु रॉय भाजपा में शामिल होंगे। राजनीतिक पंडित उनके बयान के सियासी मायने तलाश रहे हैं।
मालूम हो कि शुभ्रांशु रॉय चुनाव से पहले टीएमसी छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे।
यह भी पढ़ें : गहलोत के सामने भिड़े दो मंत्री, जानिए फिर क्या हुआ?
यह भी पढ़ें : बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने पर हुआ सर्वे तो आये चौकाने वाले आंकड़े
दरअसल शुभ्रांशु रॉय की मां कृष्णा रॉय कोरोना संक्रमित हैं। उनका इलाज कोलकाता के एक निजी अस्पताल में चल रहा है। इतना ही नहीं खुद मुकुल रॉय भी कोरोना से संक्रमित हैं और धीरे-धीरे वो इस संक्रमण से उबर रहे हैं।
हाल ही में सीएम ममता बनर्जी के भतीजे और टीएमसी की युवा ईकाई के अध्यक्ष अभिषेक बनर्जी ने अस्पताल जाकर शुभ्रांशु रॉय की मां का हालचाल लिया था, जिसके बाद राजनीतिक पंडित इस मुलाकात के कई मायने निकाल रहे थे।
वहीं अब जब शुभ्रांशु रॉय ने ममता बनर्जी का शुक्रिया अदा किया है तो ऐसी खबरों को और बल मिलने लगा है। शुभ्रांशु ने कहा कि ममता बनर्जी जरुरत के वक्त उनके परिवार तक पहुंची थीं।
अब यह भी जानिए कि शुभ्रांशु रॉय ने क्या कहा है। शुभ्रांशु ने कहा है कि ‘मैं आभारी हूं कि ममता बनर्जी ने विभिन्न तरीकों से मेरे पिताजी का हालचाल जाना। उनका परिवार जरुरत के समय हमारे साथ है।’
शुभ्रांशु रॉय ने कहा कि पश्चिम बंगाल बंटवारे की सियासत को कबूल नहीं करता है। मैं समझता हूं कि राजनीति में कुछ भी संभव है।
उन्होंने यह भी कहा कि, ‘सीएम के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने कोलकाता के अपोलो अस्पताल का दौरा किया, जहां कृष्णा रॉय का इलाज चल रहा है। अभिषेक मेरी मां की सेहत की जानकारी लगातार 2 हफ्तों से ले रहे हैं। एक विपक्षी पार्टी से होने के बावजूद वो मेरी मां को देखने के लिए आए थे, मैं उनका आभारी हूं।
यह भी पढ़ें : पंजाब कांग्रेस को मिल सकता है नया कप्तान लेकिन कैप्टन…
पिछले कुछ दिनों से बंगाल के सियासी गलियारे में चर्चा है कि भाजपा मुकुल रॉय को लेकर चिंतित है। चुनाव परिणाम आने के बाद से मुुकुल रॉय का कोई बयान नहीं आया है। हालांकि बीच में उन्होंने एक ट्वीट कर पार्टी में अपनी निष्ठा जताया था। बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद मुकुल रॉय से फोन पर उनका हालचाल लिया था।
भाजपा का चिंता बढऩा भी जायज है। पिछले कुछ दिनों में कई भाजपा नेता टीएमसी में जाने की बात कह चुके हैं। वह अपनी गलती मान रहे है कि उन्होंने भाजपा में आकर गलती की। उनका कहना है कि उन्हें भाजपा में सम्मान नहीं मिला।
इसके पहले ही भाजपा टीएमसी नेताओं को पार्टी में शामिल कर पुराने भाजपा नेताओं को नाराज कर चुकी है। चुनाव के समय ही कई भाजपा नेताओं ने नाराजगी जाहिर की थी कि पार्टी बाहर के नेताओं को ज्यादा अहमियत दे रही है।
वर्तमान में भाजपा की चुनौती बढ़ गई है। एक ओर नाराज नेताओं को खुश करना है तो वहीं दूसरी ओर जनता में अपना विश्वास भी बढ़ाना है।
मोदी के भरोसे ही भाजपा में बंगाल में फतह का सपना देखा था लेकिन वहां मोदी मौजिक काम नहीं किया।
जाहिर है जब जनता को मोदी का मैजिक रास नहीं आया तो नेताओं का कैसे आयेगा। फिलहाल अभी बंगाल में जिस तरह का माहौल बन रहा है उससे तो यही लग रहा है कि बंगाल में पिक्चर अभी बाकी है।