न्यूज डेस्क
पूर्व मंत्री और फायर ब्रांड नेता नवजोत सिंह सिद्धू एक बार फिर चर्चा में हैं। उनकी वजह से पंजाब की राजनीति गर्मा गई है। एक ओर चर्चा है कि उनकी पंजाब कैबिनेट में वापसी हो रही है तो वहीं दूसरी ओर आम आदमी पार्टी के पंजाब प्रभारी द्वारा सिद्धू को ऑफर दिए जाने के बाद पार्टी में खींचतान मच गई है।
फायर ब्रांड नेता नवजोत सिंह सिद्धू का कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात के बाद पंजाब कांग्रेस में हलचल बढ़ गई है। कांग्रेस में नई संभावनाएं और चर्चाएं शुरू हो गई है। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि उनकी पंजाब कैबिनेट पंजाब में वाइल्ड कार्ड एंट्री हो सकती है।
सिद्धू की पंजाब कैबिनेट में फिर से वापसी की खबरों के बीच पंजाब आम आदमी पार्टी के प्रधान भगवंत मान ने पूरे प्रकरण में एक तरह से अपनी नाखुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि सिद्धू आप के लिए कोई मुद्दा नहीं हैं। वैसे, सिद्धू का पार्टी में स्वागत करने की बात भी कही है।
पंजाब की राजनीति में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। दिल्ली में आप की शानदार जीत के बाद पंजाब आप में नई शक्ति पैदा हुई है तो शिरोमणि अकाली दल से बाहर होने के बाद ढींडसा पिता-पुत्र नया फ्रंट तैयार करने में जुटे हैं।
इन सब के बीच अज्ञातवास में चल रहे नवजोत सिंह सिद्धू की नई हलचल ने पंजाब कांग्रेस में सरगर्मी बढ़ा दी है। सिद्धू की सोनिया और प्रियंका से मुलाकात से कांग्रेस में नई संभावनाएं और चर्चाएं शुरू हो गई है।
सियासी गलियारों में चर्चा है कि पार्टी हाईकमान सिद्धू को पंजाब कैबिनेट में पुन: वाइल्ड कार्ड एंट्री दिलाना चाहता है। यह तभी संभव है जब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और सिद्धू के बीच गतिरोध टूटे। इन दोनों के बीच की तल्खी अभी भी बनी हुई है। ऐसी चर्चा है कि काफी समय से उनके बीच संवाद नहीं हुआ है।
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सोनिया गांधी से मुलाकात कर नवजोत सिंह सिद्धू ने भले ही नए संकेत दे दिए हैं, लेकिन उनकी स्थिति वैसी ही है जैसी छह माह पहले थी। कैबिनेट में शामिल करने के बाद भी कैप्टन अमरिंदर सिंह पुन: सिद्धू को स्थानीय निकाय विभाग देने के हक में नहीं हैं। दूसरी ओर नवजोत इससे कम पर तैयार नहीं हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजे के आने के बाद सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सिद्धू से निकाय विभाग लेकर उनको बिजली विभाग दे दिया था। इससे नाराज होकर सिद्धू ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था।
कांग्रेस हर हाल में इस मामले का हल निकालना चाहती है। पार्टी को पता है कि इसका हल नहीं निकला तो पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि सिद्धू पार्टी में रहकर 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का बेड़ा पार लगा पाएं या नहीं, लेकिन पार्टी से बाहर होकर वह उसकी ‘चुनावी नाव’ जरूर डुबा सकते हैं।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जीत के बाद आप और इससे पहले से ही शिरोमणि अकाली दल टकसाली की नजरें सिद्धू पर टिकी हुई हैं। दोनों दलों की ओर से उनको खुला ऑफर दिया गया है। वैसे सिद्धू की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
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हालांकि सिद्धू ने सोनिया गांधी से मुलाकात कर अपनी मंशा जाहिर कर दी है कि वह कांग्रेस का हाथ नहीं छोडऩे वाले हैं। इस मुलाकात के बाद सिद्धू की तरफ से बाकायदा प्रेस नोट जारी किया गया था, जबकि छह माह से वह अज्ञातवास में चल रहे थे। उन्होंने पार्टी व मीडिया दोनों से दूरी बना रखी थी। कैबिनेट में सिद्धू की खाली पद को मुख्यमंत्री भरना चाहते थे, लेकिन हाईकमान ने अभी तक इसकी इजाजत नहीं दी।
सिद्धू की पंजाब कैबिनेट में वापसी की राह इतनी आसान नहीं दिख रही है। जिस तरह से कांग्रेस हाईकमान में उथल-पुथल मची हुई है उसे देखते हुए तो ऐसा ही लगता है कि मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पर दबाव बना पाना हाईकमान के लिए आसान नहीं होगा।
हाईकमान इतनी मजबूत स्थिति में नहीं है कि वह अपनी मर्जी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर थोप सके, लेकिन यह तय है कि आने वाले कुछेकदिनों में असमंजस के बादल साफ हो जाएंगे।
दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी के नवनियुक्त प्रभारी जरनैल सिंह द्वारा सिद्धू को पार्टी में शामिल होने का ऑफर दिए जाने के बाद आप नेताओं की खींचतान भी सामने आ रही है। यहां मीडिया से बातचीत में आप के प्रदेश प्रधान सांसद भगवंत मान ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू यदि पार्टी में शामिल होते हैं तो वह उनका स्वागत करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कह कि सिद्धू और आप छोड़ चुके सुखपाल खैहरा या सुच्चा सिंह छोटेपुर मुद्दे नहीं हैं। बता दें कि कि आप के नए पंजाब प्रभारी जरनैल सिंह ने शनिवार को कहा था कि सिद्धू को आप में शामिल होना चाहिए।
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