जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। आम आदमी पार्टी और सुभासपा के बाद समान नागरिक संहिता पर अब मायावती की पार्टी बसपा ने अपनी स्थिति साफ कर दी है।
बसपा प्रमुख मायावती ने इस पूरे मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ी है और बड़ा बयान देते हुए कहा कि उनकी पार्टी समान नागरिक संहिता के विरोध में नहीं है।
मगर संविधान इसे थोपने का समर्थन नहीं करता है। मायावती ने इस पूरे मामले पर खुलकर अपना पक्ष रखा है। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी यूसीसी लागू करने के खिलाफ नहीं है। यूसीसी लागू करने के बीजेपी मॉडल पर हमारी असहमति है।
भाजपा यूसीसी के जरिए संकीर्ण मानसिकता की राजनीति करने की कोशिश कर रही है। मायावती ने रविवार को पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि विशाल आबादी वाले भारत देश में हिंदू, मुस्लिम, सिख इसाई, पारसी बौद्ध अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं।
VIDEO | "India has people of different religions, who have different cultures, and it will not be correct to interfere with that. However, it's a fact that Uniform Civil Code will only strengthen the country," says Bahujan Samaj Party supremo Mayawati. pic.twitter.com/a2L2iWSGTj
— Press Trust of India (@PTI_News) July 2, 2023
इनके अपने खान-पान, रहन-सहन और जीवनशैली के तौर-तरीके और रस्म-रिवाज हैं। इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। अगर बीजेपी अपने तुच्छ राजनीतिक एजेंडे से ऊपर उठकर इसे लाती है तो हम इसका समर्थन करेंगे, वर्ना इसका विरोध करेंगे। सरकार यूसीसी को चर्चा का विषय बनाकर ध्यान भटकाने की राजनीति कर रही है। यूसीसी का उल्लेख पहले से ही संविधान में है।
उन्होंने कहा कि ये बात भी सोचने वाली है कि अगर हर धर्म के मानने वाले एक समान कानून लागू होता है तो इससे देश कमजोर नहीं बल्कि मजबूत ही होगा।
VIDEO | "We are not against the UCC, but we question how the BJP government is trying to implement it in the country," says Bahujan Samaj Party supremo Mayawati on Uniform Civil Code. pic.twitter.com/MyjLDX3Eet
— Press Trust of India (@PTI_News) July 2, 2023
साथ ही लोगों में आपसी सद्भाव भी पैदा होगा। यह बात भी कहीं हद तक सही है। इसे ध्यान में रखते हुए ही भारतीय संविधान की धारा 14 में यूसीसी को बनाने का जिक्र किया गया है।
बता दें कि यूसीसी पर सबसे पहले आम आदमी पार्टी ने अपना समर्थन जाहिर किया था। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले सरकार इस मामले पर कोई बड़ा फैसला ले सकती है।