न्यूज डेस्क
कांग्रेस की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। केन्द्र से लेकर अधिकांश राज्यों में कांग्रेस हाशिए पर है और जिन गिने-चुने राज्यों में कांग्रेस की सरकार है वहां भी आरोप-प्रत्यारोप और गुटबाजी चरम पर हैं।
मध्य प्रदेश में लंबे अरसे बाद कांग्रेस सत्ता में लौटी, लेकिन पहले दिन से वहां कांग्रेस नेताओं में आपसी रार छिड़ी हुई है। पार्टी में रार और गुटबाजी हावी है। इसके लिए पूर्व सीएम और वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को जिम्मेदार माना जा रहा है।
दरअसल, पिछले कुछ दिनों में एमपी कांग्रेस के भीतर जो भी आपसी आरोप-प्रत्यारोप सामने आए हैं, वो वहां के दिग्गजों की आपसी गुटबाजी का ही नतीजा हैं। सारी गुटबाजी सरकार और पार्टी में पकड़ को लेकर हो रही है।
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गौरतलब है कि जब एमपी में कांग्रेस सत्ता में आई थी तो ज्योतिरादित्य संधिया व कमलनाथ में इसका श्रेय लेने की होड़ लगी हुई थी। दोनों इसी के आधार पर अपने को मुख्यमंत्री पद के दावेदार मान रहे थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया राहुल गांधी के कहने पर मुख्यमंत्री की दावेदारी से पीछे हट गए तो कमलनाथ मुख्यमंत्री बन गए। राहुल के कहने पर सिंधिया पीछे तो हट गए लेकिन कमलनाथ से उनके रिश्ते सामान्य नहीं हुए। इशारों-इशारों में सिंधिया और कमलनाथ एक-दूसरे पर निशाना साधने से नहीं चूकते।
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अब एमपी कांग्रेस में थोड़ा ट्विस्ट आ गया है। पहले सिंधिया और कमलनाथ आमने-सामने थे और अब दिग्विजय भी बीच में आ गए हैं। अब असली संघर्ष सिंधिया और दिग्विजय सिंह के बीच माना जा रहा है।
दरअसल इन नेताओं के बीच खींचतान नई नहीं है। यह सालों पुरानी है। मध्य प्रदेश में एक धड़ा सिंधिया का है तो दूसरा दिग्विजय और सीएम कमलनाथ का है। कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से दोनों गुट अपने-अपने समर्थकों के जरिए ताकत की आजमाइश में लगे हैं।
फिलहाल इस समय जो खींचतान मची हुई है वह प्रदेश अध्यक्ष को लेकर भी है। सिंधिया की नजरें अध्यक्ष पद पर हैं और दिग्विजय नहीं चाहते कि सिंधिया के हाथों में प्रदेश की कमान जाए। गौरतलब है कि हाल में दिग्विजय के खिलाफ सरकार में दखलंदाजी का आरोप वन मंत्री उमंग सिंघार सिंधिया ने लगाया था। सिंघार को सिंधिया समर्थक माना जाता है।
दिग्विजय सिंह किसी भी हालत में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद सिंधिया के हाथ में नहीं जाने देना चाहते। ऐसी चर्चा है कि यदि अध्यक्ष पद की कमान सिंधिया के हाथ में जाती है तो पार्टी में टूट-फूट हो सकती है। इसलिए दिग्गी राजा की दखलंदाजी बढ़ गई है। ऐसा नहीं है कि दिग्गी की दखलंदाजी कमलनाथ को अच्छी लग रही है, वह भी असहज हैं लेकिन सिंधिया के मुद्दे को लेकर वह सिंह के साथ हैं।
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कहा जाता है कि मध्य प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों पर आज भी दिग्विजय सिंह की पकड़ काफी मजबूत है। यह बात कमलनाथ से लेकर कांग्रेस आलाकमान तक को पता है, इसलिए इस बात की संभावना कम ही है कि सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई हो।
कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व है खफा
जिस तरह मध्य प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी और आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है उससे कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व बेहद खफा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रदेश के सभी नेताओं को बयानबाजी करने से बचने के लिए कहा है। नेताओं के लिए गाइडलाइन जारी कर सोनिया ने कहा है कि बिना सुबूत के कोई भी नेता अपने सहयोगी या साथी नेता पर आरोप नहीं लगायेगा।
इतना ही नहीं सिंधिया और कमलनाथ के बीच विवाद को लेकर भी सोनिया चिंतित हैं। उन्होंने इस पूरे मामले का जिम्मा पूर्व केंद्रीय मंत्री एके एंटनी को सौंपा है। एंटनी जल्द ही अपनी रिपोर्ट सोनिया गांधी को सौंपने वाले हैं। 10 सितंबर को सिंधिया की मुलाकात सोनिया गांधी से होने वाली थी लेकिन यह बैठक टल गई। ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि सोनिया रिपोर्ट मिलने के बाद ही बैठक करेंगी।
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