जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. मिशन-2022 में बीजेपी को फिर से सत्ता में लाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अयोध्या से चुनाव लड़ाने की तैयारी की जा रही है. मुख्यमंत्री को मथुरा से चुनाव लड़ाए जाने को लेकर लगातार चर्चाएँ चल रही थीं. यह माना जा रहा था कि मथुरा से योगी आदित्यनाथ अगर प्रत्याशी बनते हैं तो राम जन्मभूमि के बाद कृष्ण जन्मभूमि के नाम पर चुनाव का रुख मोड़ा जा सकता है लेकिन चुनाव से ठीक पहले जिस तरह के हालात बने हैं और सरकार के दो मंत्रियों ने इस्तीफ़ा दिया है उससे पार्टी को लगता है कि फिलहाल राम का दामन थामे हुए ही यह विधानसभा चुनाव निबटा लिया जाए, ताकि सत्ता अपने पास बनी रहे.
भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इस समय उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र उम्मीदवारों के नाम तय करने में लगा हुआ है. लखनऊ में वरिष्ठ नेताओं की बैठक में बनाए गए उम्मीदवारों के पैनल पर केन्द्रीय चुनाव समिति मंथन करने में लगी है. इसी बीच मंत्रियों और विधायकों की पार्टी से शुरू हुई भगदड़ के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने सुझाव दिया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अयोध्या से प्रत्याशी बना दिया जाए तो काफी हद तक डैमेज कंट्रोल हो सकता है और चुनाव का रुख भगवान राम के नाम पर फिर से बदला जा सकता है.
दिल्ली में उम्मीदवारों के चयन को लेकर चल रही बैठक में यह सुझाव आया है कि अगर इस चुनाव को हिंदुत्व की लहर के आधार पर ही लड़ना है और योगी आदित्यनाथ ने जो तेवर अपनाए हुए हैं उसी को कांटीन्यू करना है तो योगी आदित्यनाथ से बेहतर कोई और उम्मीदवार अयोध्या के लिए नहीं होगा. इस बैठक में यह कहा गया कि राम मन्दिर का मुद्दा अब भावनात्मक मुद्दा बन चुका है. योगी आदित्यनाथ क्योंकि शुरू से ही राम मन्दिर आन्दोलन से जुड़े रहे हैं और अपनी सरकार के कार्यकाल में जिस तरह से वह अयोध्या में सक्रिय रहे हैं उसका पूरा फायदा उन्हें अयोध्या से लड़ाकर उठाया जा सकता है. अयोध्या में पांचवें चरण में चुनाव होना है. इस सीट से जीत दर्ज कर लेना बहुत आसान भी होगा और पूरे प्रदेश में यह सन्देश भी भेजना होगा कि सरकार हिन्दुत्व के जिस एजेंडे पर काम कर रही थी उसी पर आगे भी काम करती रहेगी. राम मन्दिर का निर्माण कार्य चल ही रहा है, इसका भी फायदा चुनाव में मिलेगा.
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