Monday - 28 October 2024 - 7:50 AM

तो क्या तिब्बत में चीन भारत के लिए बना रहा है वाटर बम?

जुबिली न्यूज डेस्क

भारत और चीन के बीच तनाव घटने के बजाए बढ़ता जा रहा है। भारत के विरोध के बाद भी चीन लगातार अपनी मनमानी कर रहा है। अब चीन द्वारा तिब्बत में एक कृत्रिम झील बनाने का मामला सामने आया है। इस मामले पर विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने चिंता व्यक्त करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।

कांग्रेस ने सरकार को नसीहत देते हुए कहा है कि यदि जरुरत महसूस होती है तो सरकार को चीन को अन्तरराष्ट्रीय विवाद परिषद में ले जाना चाहिए क्योंकि यह कृत्रिम झील अरुणाचल प्रदेश के लिए बहुत बड़ा खतरा साबित हो सकती है।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने कहा कि सरकार की तरफ से ‘राष्ट्रवाद’, ’56 इंच का सीना’  और ‘लाल आंखें’  जैसी बातें की जाती हैं लेकिन हकीकत में यह खाली नारे और खोखले दावे लग रहे हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि तिब्बत की यारलुंग सांगपो नदी पर बनायी जा रही कृत्रिम झील, कृत्रिम झीलके देपसांग में बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों की मौजूदगी, नेपाल द्वारा कुछ भारतीय इलाकों पर अपना दावा करना, ये सब खतरे की निशानी हैं और सरकार को इन्हें सुलझाने के लिए गंभीर कदम उठाने चाहिए।

सिंघवी ने कहा कि तिब्बत में यारलुंग सांगपो नदी पर बनायी गई कृत्रिम झील अरुणाचल प्रदेश के ऊपर है। इसे ‘वाटर बम’  कहना भी अतिश्योक्ति नहीं होगी। एक दरार या जानबूझकर इसे तोड़े जाने पर यह अरुणाचल प्रदेश और पूरे सियांग बेसिन में बाढ़ और भारी तबाही का कारण बन सकती है।

वहीं सरकारी अधिकारियों का कहना है कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के बाद अरुणाचल प्रदेश और पूरे सियांग बेसिन में अलर्ट जारी कर दिया गया है। हालांकि कांग्रेस का मानना है कि सरकार को इससे ज्यादा अन्तरराष्ट्रीय कूटनीतिक स्तर पर पहल करने की जरुरत है। कांग्रेस का कहना है कि यदि जरुरत पड़ती है तो भारत सरकार को इस मामले को अन्तरराष्ट्रीय विवाद समाधान परिषद में ले जाना चाहिए।

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सिंघवी ने कहा कि आप ऊंचाई वाले इलाकों में ऐसा कुछ नहीं कर सकते, जिससे नीचे के इलाकों के लिए खतरा पैदा हो, यह अन्तरराष्ट्रीय नियमों का आधारभूत सिद्धांत है लेकिन इस सरकार ने कुछ भी नहीं कहा है और ना ही इसकी जानकारी साझा की है।

सिंघवी ने आरोप लगाया कि लद्दाख के देपसांग में कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर बातचीत हो रही है लेकिन इसके बावजूद चीन ने वहां करीब 17 हजार सैनिक तैनात कर रहे हैं। वहां से चीन पीछे नहीं हट रहा है लेकिन सरकार कोई जवाब नहीं दे रही, चुप है, कोई बातचीत नहीं। यहां विश्वास की कमी साफ दिखाई दे रही है।

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