जुबिली न्यूज डेस्क
अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होना है और इससे पहले जातिगत जनगणना का मुद्दा जोर पकडऩे लगा है। सबसे पहले बिहार में बीजेपी की सहयोगी जदयू ने जातिगत जनगणना कराए जाने का मुद्दा उठाया तो अब यूपी में भाजपा की सहयोगी अपना दल की नेता व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी जातिगत जनगणना कराए जाने की मांग की है।
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अनुप्रिया पटेल की इस मांग के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। कई लोग इसे सोची समझी रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं तो कई इसे चुनावी स्टंट मान रहे हैं।
बीते दिनों सरकार के कामकाज का लेखाजोखा लेकर केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल यूपी के प्रयागराज पहुंची थी। इस दौरान उन्होंने योगी सरकार और केंद्र सरकार के कामकाज को लेकर तारीफों के पुल बांधे और आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन के बंपर जीत का दावा भी किया। साथ ही इस दौरान अनुप्रिया पटेल ने ओबीसी जनगणना का मुद्दा भी उठा दिया।
केंद्रीय मंत्री पटेल ने कहा कि देश में 1931 के बाद से पिछड़ी जातियों की जनगणना नहीं हुई है। इसलिए केंद्र सरकार पिछड़ी जाति की जनगणना करवाए।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि एक पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्रालय का गठन भी किया जाना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि संसद में सर्वदलीय बैठक के साथ ही एनडीए की बैठक में भी पार्टी की तरफ से मांग उठाई गई है। आने वाले दिनों में भी इस मांग को हमारी पार्टी उठाएगी।
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यूपी में करीब 43 प्रतिशत ओबीसी वोटर हैं जो चुनाव में निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। इसलिए सभी राजनीतिक पार्टियां ओबीसी वोट बैंक को साधने में जुटी है।
साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों के साथ ही 2017 के विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी को बड़ी संख्या में ओबीसी वोट मिले थे। जिसकी वजह से भाजपा को इन चुनावों में बड़ी जीत मिली थी। इसलिए सभी पार्टियां एक बार फिर से जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाकर ओबीसी वोट बैंक को साधने में जुटी है और इसमें बीजेपी की सहयोगी अपना दल भी शामिल है।
हालांकि मोदी सरकार पहले ही जातिगत जनगणना कराने से मना कर चुकी है। लेकिन विपक्षी दलों के अलावा बीजेपी के कई सहयोगी दल भी केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।
बिहार के सीएम नीतीश कुमार जातिगत जनगणना कराने को लेकर पीएम मोदी से मुलाकात भी करेंगे। जातिगत जनगणना के मुद्दे पर बिहार में नीतीश कुमार और उनके धुर विरोधी तेजस्वी यादव भी साथ आ गए हैं। पिछले दिनों दोनों नेताओं ने इस मुद्दे को लेकर मुलाकात भी की थी।
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मालूम हो कि पिछले दिनों मानसून सत्र के दौरान केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति और जनजाति के अलावा किसी और जाति की गिनती का कोई आदेश नहीं दिया है। पिछली बार की तरह ही इस बार भी एससी और एसटी को ही जनगणना में शामिल किया गया है।
गृह राज्य मंत्री के बयान के बाद से ही कई राजनीतिक दल ओबीसी जनगणना कराए जाने की मांग कर रहे हैं।